SRBSD Virus: हरियाणा में 92,000 एकड़ की धान की फसलों में फैला खतरनाक वायरस, कृषि मंत्री ने बताया किन जिलों में प्रकोप

SRBSD Virus: हरियाणा में 92,000 एकड़ की धान की फसलों में फैला खतरनाक वायरस, कृषि मंत्री ने बताया किन जिलों में प्रकोप

SRBSD Virus: हरियाणा में धान की फसलों में इस वक्त एक खतरनाक वायरस तेजी से फैल रहा है. इसको लेकर राज्य के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने जानकारी दी है कि राज्य सरकार दक्षिणी चावल काली धारीदार बौना वायरस को लेकर अलर्ट पर है और कृषि वैज्ञानिक स्थिति पर नजर रख रहे हैं.

Advertisement
हरियाणा में 92,000 एकड़ की धान की फसलों में फैला खतरनाक वायरस, कृषि मंत्री ने बताया किन जिलों में प्रकोप धान की फसल पर वायरस का खतरा

हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि राज्य सरकार दक्षिणी चावल काली धारीदार बौने वायरस (SRBSDV) को लेकर सतर्क है. उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिक स्थिति पर नजर रख रहे हैं और किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. कांग्रेस के आदित्य सुरजेवाला द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए राणा ने सदन को बताया कि लगभग 40 लाख एकड़ में बोई गई धान की फसल में से लगभग 92,000 एकड़ की फसल इस वायरस से प्रभावित पाई गई है. उन्होंने कहा कि SRBSDV एक वायरल बीमारी है जो धान की फसल को प्रभावित करती है और भारत के कई चावल उत्पादक क्षेत्रों में चिंता का विषय बन गई है.

धान को कैसे नुकसान पहुंचाता है वायरस?

हरियाणा के कृषि मंत्री ने बताया कि यह रोग व्हाइट-बैक्ड प्लांट हॉपर (WBPH) नामक एक रोगवाहक के माध्यम से फैलता है, जो धान के पौधों का रस चूसता है और संक्रमित पौधों से वायरस को स्वस्थ पौधों में पहुंचाता है. राणा ने बताया कि जैविक खेती और धान की सीधी बुवाई में इस वायरस से नुकसान की कोई सूचना नहीं है. अगर किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और समय-समय पर दिए जाने वाले सरकारी निर्देशों के अनुसार धान की बुवाई करें, तो इस तरह की बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है.

राणा ने बताया कि इस वायरस के कारण संक्रमित चावल के पौधों की सामान्य वृद्धि रुक ​​जाती है, जिससे वे सामान्य से बहुत कम ऊंचाई के साथ बौने हो जाते हैं. उनकी पत्तियां गहरे हरे रंग की हो जाती हैं, नई कलियों का विकास धीमा हो जाता है या पूरी तरह से रुक जाता है और जड़ें भूरी होकर अविकसित रह जाती हैं. इससे पौधे की पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है.

खरीफ 2022 में फैला था ये वायरस

मंत्री ने कहा कि हरियाणा में इस वायरस का प्रकोप सबसे पहले खरीफ 2022 सीजन के दौरान देखा गया था. खरीफ 2022 में, इसके कुछ ही मामले देखे गए, लेकिन चौधरी चरण सिंह (सीसीएस) हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा समय पर की गई कार्रवाई और जागरूकता अभियानों के कारण बड़े नुकसान को रोका जा सका. खरीफ 2023 और 2024 में, प्रभावी निवारक उपायों और किसानों में बढ़ती जागरूकता के कारण, इसका कोई प्रकोप सामने नहीं आया. खरीफ 2025 से पहले, किसानों को इसके प्रति अच्छी तरह से सूचित किया गया और सावधानियां दोहराई गईं.

किन जिलों में पाया गया ये रोग?

मगर फिर भी, 2025 में यह बीमारी फिर से उभरी है. उन्होंने बताया कि पहले मामले कैथल ज़िले से और बाद में अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, जींद और पंचकूला जिलों से मामले सामने आए. इन इलाकों के किसानों ने अपने खेतों में पौधों के असामान्य रूप से बौने होने की शिकायत की है. सीसीएस एचएयू, हिसार के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों ने एक विस्तृत सर्वेक्षण किया, जिससे पता चला कि यह रोग संकर चावल की किस्मों में सबसे ज़्यादा पाया गया, उसके बाद परमल (गैर-बासमती) और फिर बासमती किस्मों में मिला. राणा ने बताया कि यह समस्या मुख्य रूप से उन खेतों में देखी गई जहां किसानों ने 25 जून से पहले धान की रोपाई की थी.

वायरस को रोकने के लिए क्या कर रही सरकार?

हरियाणा के कृषि मंत्री ने बताया कि इस रोग की पुष्टि के लिए, सीसीएस एचएयू के वैज्ञानिकों ने संक्रमित पौधों के नमूने एकत्र किए और आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन) तकनीक से उनकी जांच की. इसके परिणामों से पुष्टि हुई कि पौधे "दक्षिणी चावल काली धारीदार बौना वायरस" से संक्रमित थे. इसकी रोकथाम के उपाय बताते हुए उन्होंने बताया कि सीसीएस एचएयू ने किसानों को SRBSDV से बचाव के लिए एक सलाह जारी की है.

इसके अलावा, प्रभावित जिलों में 235 जागरूकता शिविर आयोजित किए गए, जिनमें 5,637 किसानों को रोग प्रबंधन उपायों की जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि किसानों को "व्हाइट-बैक्ड प्लांट हॉपर" नामक कीट को नियंत्रित करने के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का छिड़काव करने की सलाह दी गई.

(सोर्स- PTI)

ये भी पढ़ें-
टमाटर सहित इन सब्जियों का सबसे उत्‍पादक है मध्‍य प्रदेश, कई राज्‍यों में हो रही सप्‍लाई
कपास, तिलहन से मुंह मोड़ रहे किसान! दलहन और धान के रकबे में हुआ इजाफा 

 

POST A COMMENT