वर्डेसियन लाइफ साइंसेज की ओर से आयोजित तीसरा सीड एप्लाइड टेक्नोलॉजी (SAT) सम्मेलन हाल ही में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. यह आयोजन वर्डेसियन की एग्री-न्यूट्रिशन और बीज उपचार तकनीकों में नेतृत्व को और मजबूत करता है. सम्मेलन में कंपनी की वैश्विक सीईओ क्लेयर डॉयल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं. उनके साथ सुधीर शिंदे (वाइस प्रेसिडेंट) और आर. के. गोयल (मैनेजिंग डायरेक्टर, इंडिया) भी मंच पर उपस्थित थे.
क्लेयर डॉयल ने अपने भाषण में कहा कि भारत, वर्डेसियन की वैश्विक योजनाओं का एक अहम हिस्सा है. उन्होंने बताया कि SAT तकनीक भारतीय किसानों को विज्ञान आधारित और टिकाऊ खेती की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगी. यह तकनीक खेती को ज्यादा लाभदायक और सुरक्षित बनाने में सक्षम है.
सम्मेलन के दौरान वर्डेसियन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सॉफ्ट लॉन्च की घोषणा की गई. इसका मुख्यालय पुणे, महाराष्ट्र में होगा. यह कदम भारत में कंपनी की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है और यह दिखाता है कि कंपनी भारतीय कृषि को लेकर कितनी गंभीर है.
SAT सम्मेलन में इंस्टीट्यूशनल ट्रायल्स बुकलेट जारी की गई, जिसमें वर्डेसियन की बायोस्टिमुलेंट तकनीक के फील्ड ट्रायल्स और उनकी सफलता का विवरण दिया गया. इससे यह साफ है कि बीजों की गुणवत्ता और ताकत बढ़ाने में SAT तकनीक का बड़ा योगदान है.
सुधीर शिंदे ने यूरोप के बीज बाजार में चल रहे ट्रेंड्स को साझा किया और बताया कि कैसे वहां की सफलताएं भारत में किसानों की मदद कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि सही तकनीक और ज्ञान से भारतीय बीज उद्योग को नया आयाम दिया जा सकता है.
आर. के. गोयल ने बताया कि भारत में अब कई प्रमुख बीज कंपनियां SAT तकनीक को प्राथमिकता दे रही हैं. यह तकनीक बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ाती है, बीज को मजबूत बनाती है और बाजार में उनकी अलग पहचान बनाती है. सम्मेलन में 25 से ज्यादा प्रमुख बीज कंपनियों ने भाग लिया. सभी ने SAT तकनीक को लेकर उत्साह दिखाया और बताया कि कैसे इस तकनीक ने उनके व्यवसाय को बेहतर बनाया है.
सम्मेलन में वर्डेसियन की Sterics Technology को लेकर भी चर्चा हुई. यह तकनीक पोषक तत्वों की सुरक्षा और कुशल वितरण में नई क्रांति ला सकती है. इसका लक्ष्य है कि खेत तक हर पौधे को सही मात्रा में पोषण मिले.
SAT सम्मेलन 2025 ने यह साबित कर दिया कि भारत में विज्ञान, बीज और किसान की सफलता को एक साथ जोड़ने वाली तकनीकें ही भविष्य की कुंजी हैं. वर्डेसियन की यह पहल भारतीय कृषि को टिकाऊ, समृद्ध और विज्ञान-आधारित बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है.