मेघालय के री-भोई जिले में उगाया जाने वाला प्रीमियम केव (Kew) अनानास अब पूरे देश में उपलब्ध होगा. यह बेंगलुरु स्थित मदर इंडिया फार्म्स और टोमोनपो आंगलोंग ऑर्गेनिक फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के बीच हुए एक सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट के चलते संभव हो सका है. इस साझेदारी से छह गांवों के करीब 300 किसानों सीधे तौर पर फायदा होगा. इस पहल को मेघालय नेचुरल एंड ऑर्गेनिक सोसाइटी फॉर लाइवलीहुड एंड इनोवेशन इन एग्रीकल्चर (MEGNOLIA) का सहयोग मिला है.
समझौते के तहत मदर इंडिया फार्म्स किसानों के लिए प्रशिक्षण, जैविक प्रमाणीकरण, डेटा प्रबंधन और निरीक्षण जैसी आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को पूरी तरह से फंड करेगा और लागू भी करेगा. इसके साथ ही कंपनी खरीद और मार्केटिंग का काम भी देखेगी और किसानों को बाजार मूल्य और गुणवत्ता के आधार पर जैविक उपज का प्रीमियम मूल्य दिलाने में मदद करेगी.
राज्य के कृषि सचिव विजय कुमार डी ने इसे एक सकारात्मक पहल बताते हुए कहा कि इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि मेघालय के प्रमाणित जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि इस मॉडल को हल्दी और अदरक जैसी फसलों पर भी लागू किया जा सकता है. मदर इंडिया फार्म्स के सीईओ आर. दुरईराज ने भी मेघालय की जैविक खेती में अग्रणी भूमिका निभाने की क्षमता पर विश्वास जताया.
राज्य सरकार ने इसे मेघालय के "अनानास महोत्सव" की तैयारी से जोड़ते हुए कहा कि यह साझेदारी दिखाती है कि कैसे स्थानीय किसान समूह अब निर्यात-उन्मुख और हाई-वैल्यू जैविक बाजारों का हिस्सा बनने को तैयार हैं. इससे मेघालय स्वच्छ, प्रमाणित और प्रीमियम गुणवत्ता वाले उत्पादों का भरोसेमंद स्रोत बनता जा रहा है.
बता दें कि केव (Kew) अनानास भारत में उगाई जाने वाली सबसे लोकप्रिय और कमर्शियल वैरायटी में से एक है. यह वैरायटी खासतौर पर अपने बड़े आकार, मीठे स्वाद और रसयुक्त गूदे के लिए जानी जाती है. आमतौर पर इसका वजन 1.5 से 2.5 किलोग्राम तक होता है. केव अनानास की स्किन हल्के पीले से सुनहरे रंग की होती है और इसमें कांटों की संख्या कम होती है. यही वजह है कि इसे छीलना आसान होता है.
वहीं, इसकी शेल्फ लाइफ भी अन्य किस्मों के मुकाबले अच्छी होती है और निर्यात के लिए यह एक बढ़िया किस्म है. केव अनानास की खेती की बात करें तो गर्म और नम मौसम में अच्छी होती है. यह ऐसी जगहों पर बढ़िया उगता है, जहां ज्यादा धूप और हल्की बारिश होती है, जैसे कि उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाके. इसके लिए 22 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान और अच्छी जलनिकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. (पीटीआई)