अंतरिक्ष में किसानी कर रहे शुभांशु शुक्ला, बिना गुरुत्वाकर्षण के उगाई 'मूंग' और 'मेथी'

अंतरिक्ष में किसानी कर रहे शुभांशु शुक्ला, बिना गुरुत्वाकर्षण के उगाई 'मूंग' और 'मेथी'

अपने अंतरिक्ष प्रवास के अंतिम चरण में, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला एक किसान बन गए, उन्होंने पेट्री डिश में अंकुरित हो रहे 'मूंग' और 'मेथी' के बीजों की तस्वीरें लीं. यह अध्ययन इस बात पर आधारित था कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अंकुरण और पौधों के प्रारंभिक विकास को कैसे प्रभावित करता है.

Shubhanshu Shukla Ax-4 missionShubhanshu Shukla Ax-4 mission
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Jul 10, 2025,
  • Updated Jul 10, 2025, 1:39 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अब स्पेस में खेती-किसान के काम में जुट गए हैं. जी हां इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) पर शुभांशु अंतरिक्ष में पौधों के विकास को लेकर अहम रिसर्च में लगे हुए हैं. दरअसल, अपने अंतरिक्ष मिशन के अंतिम चरण में शुभांशु शुक्ला ने पेट्री डिश में 'मूंग' और 'मेथी' के बीजों को अंकुरित किया और इनकी तस्वीरें भी लीं. मूंग और मेथी में अंकुरण कराने के बाद शुभांशु ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के स्टोरेज फ्रीजर में रख दिया. शुभांशु शुक्ला ने ये अध्ययन इस बात को समझने के लिए किया कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में बीजों का अंकुरण और पौधों का प्रारंभिक विकास कैसे प्रभावित होता है.

अंतरिक्ष में खेती का ये है मकसद

बीजों को अंकुरित कराने के इस प्रयोग का नेतृत्व दो वैज्ञानिकों - कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के रविकुमार होसामनी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, धारवाड़ के सुधीर सिद्धपुरेड्डी द्वारा किया जा रहा है. एक्सिओम स्पेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि एक बार पृथ्वी पर वापस आने के बाद, इन बीजों को कई जेनेरेशन तक उगाया जाएगा, ताकि उनके आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल में होने वाले परिवर्तनों का परीक्षण किया जा सके.

इस दौरान शुक्ला ने फसल बीजों पर प्रयोग के लिए भी तस्वीरें लीं, जहां मिशन के बाद कई पीढ़ियों तक 6 किस्मों की खेती की जाएगी. इसका लक्ष्य अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए आनुवंशिक विश्लेषण हेतु वांछनीय गुणों वाले पौधों की पहचान करना है.

सूक्ष्म शैवालों पर भी कर रहे रिसर्च

इसके अलावा एक दूसरे प्रयोग में, शुक्ला ने सूक्ष्म शैवालों को तैनात और संग्रहित किया. इस एक्सपेरीमेंट में इनकी भोजन, ऑक्सीजन और यहां तक कि जैव ईंधन बनाने की क्षमता की जांच की जा रही है. इसके पीछे एक खास मकसद ये भी है कि सूक्ष्म शैवालों का लचीलापन और उनकी बहुमुखी प्रतिभा, इन्हें लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों में मानव जीवन के लिए आदर्श बनाती है.

इसको लेकर शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को एक्सिओम अंतरिक्ष की मुख्य वैज्ञानिक लूसी लो के साथ बातचीत की है. अंतरिक्ष में रहकर बीजों में अंकुरण करने और इसकी रिसर्च को लेकर शुभांशु ने कहा, "मुझे बहुत गर्व है कि ISRO देश भर के राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करने और कुछ बेहतरीन शोध करने में सक्षम रहा है, जो मैं सभी वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए स्टेशन पर कर रहा हूं. ऐसा करना रोमांचक और आनंददायक है." शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन पर उनके शोध कार्य विभिन्न क्षेत्रों और विषयों में फैले हुए थे.

कब धरती पर लौटेंगे शुभांशु?

बता दें कि शुभांशु शुक्ला और उनके साथी एक्सिओम-4 (Axiom-4) अंतरिक्ष यात्रियों ने कक्षीय प्रयोगशाला (ऑर्बिटल लैब) में 12 दिन बिताए हैं. बताया जा रहा है कि फ्लोरिडा तट पर मौसम की स्थिति अगर अनुकूल रहती है तो 10 जुलाई के बाद किसी भी दिन शुभाशु और उनका क्रू पृथ्वी पर वापस लौट सकता है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने अभी तक अंतरिक्ष स्टेशन से एक्सिओम-4 मिशन को अनडॉक करने की तारीख नहीं बताई है. बता दें कि ISS से डॉक किए गए एक्सिओम-4 मिशन कुल 14 दिनों का है.

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