देश में 52 लाख टन चावल का इथेनॉल बनेगा, नई बिक्री पॉलिसी में सरकारी ब्रांड ‘भारत’ पर बड़ा अपडेट

देश में 52 लाख टन चावल का इथेनॉल बनेगा, नई बिक्री पॉलिसी में सरकारी ब्रांड ‘भारत’ पर बड़ा अपडेट

OMSS Policy: सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए 52 लाख टन चावल आरक्षित किया है और 'भारत' ब्रांड चावल की बिक्री को लेकर भी अपडेट सामने आया है. गेहूं और चावल की कीमतों में बदलाव के साथ चावल की नई कैटेगरी भी जोड़ी गई है.

Ethanol Rice Allotment New OMSS Rice Sale PolicyEthanol Rice Allotment New OMSS Rice Sale Policy
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 11, 2025,
  • Updated Jul 11, 2025, 10:40 PM IST

केंद्र सरकार ने गुरुवार को खुली बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत सरकारी भंडारों से गेहूं और चावल की बिक्री को लेकर नई पॉलिसी की नोटिफिकेशन जारी की है. नई पॉलिसी के तहत गेहूं और चावल की आरक्षित कीमतों को बदला गया है और विभिन्न खरीदार वर्गों के लिए अलग-अलग रेट तय किए गए हैं. नई पॉलिसी के मुताबिक, सभी श्रेणियों के लिए गेहूं का आरक्षित मूल्य अब 2,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. पिछले साल यह कीमत 2,300 रुपये से 2,325 रुपये के बीच थी. सरकार ने इथेनॉल बनाने के लिए आपूर्ति वर्ष 2025-26 (नवंबर से अक्‍टूबर) के लिए 52 लाख टन चावल का आवंटन किया है. पिछले साल यानी 2024-25 में भी इतना ही आवंटन किया गया था.

पुराने या टूटे चावल से बनेगा इथेनॉल

हालांकि, इस साल इसकी कीमत 2,250 रुपये से बढ़ाकर 2,320 रुपये प्रति क्विंटल की गई है. वहीं, अब तक 52 लाख टन में से 17 लाख टन चावल का उठान हो चुका है. वहीं, सरकार ने कहा है कि संभव हुआ तो इथेनॉल उत्‍पादन के लिए पुराने या टूटे हुए चावल (ब्रोकेन राइस) का इस्‍तेमाल किया जाएगा. ओएमएसएस पॉलिसी में राइस मिलिंग ट्रांसफॉर्मेशन स्कीम के तहत उत्पादित टूटा हुए चावल  यानी ब्रोकेन राइस की एक नई कैटेगरी जोड़ी गई है. अब निजी कंपनियों को ई-नीलामी के जरिए 2,320 रुपये प्रति क्विंटल की आरक्षित दर पर 1 नवंबर 2025 से ब्रोकेन राइस बेचा जाएगा. मुख्य रूप से ब्रोकेन राइस का इस्तेमाल डिस्टिलरी उद्योग में होगा.

'भारत' ब्रांड के लिए अलग व्यवस्था बनी

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, नाफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसी सरकारी सहकारी संस्थाएं अब ‘भारत’ ब्रांड के तहत चावल 2,480 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 1 नवंबर 2025 से 30 जून 2026 तक बेच सकेंगी. यह दर उनके स्टोर, मोबाइल वैन, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और प्रमुख खुदरा चैनलों पर लागू होगी. हालांकि, 1 जुलाई से इन संस्थानों को मिलने वाली 200 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी खत्‍म कर दी गई है. वहीं, मंत्रालय ने यह साफ किया है कि निजी मिलों को ‘भारत’ ब्रांड का चावल बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. सिर्फ सहकारी संस्थाएं ही इस ब्रांड के तहत बिक्री कर सकेंगी.

संस्थागत खरीदारों-राज्य सरकारों के लिए नियम

नई पॉलिसी के तहत संस्थागत खरीदार अब 1 नवंबर से एफसीआई से 2,480 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चावल खरीद सकेंगे. इसकी वर्तमान दर 2,400 रुपये है, इसमें 80 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. राज्य सरकारें, उनकी एजेंसियां और सामुदायिक रसोईघर ई-नीलामी में भाग लिए बिना 2,320 रुपये प्रति क्विंटल की तय कीमत पर चावल खरीद सकेंगे. हालांकि, इनको उपलब्ध कराई जाने वाली मात्रा 36 लाख टन से घटाकर 32 लाख टन कर दी गई है.

ब्रोकेन राइस के लिए ये रेट हुए तय

अगले साल 10 प्रतिशत तक टूटे चावल की आरक्षित दर 3,090 रुपये प्रति क्विंटल और 25 प्रतिशत तक टूटे चावल की दर 2,890 रुपये प्रति क्विंटल होगी. चावल की कीमत में परिवहन लागत शामिल है, जबकि गेहूं की कीमत में नहीं. सरकार की इस नई नीति से खाद्य आपूर्ति, वितरण और मूल्य नियंत्रण को लेकर एक व्यवस्थित ढांचा तैयार होगा, जो विभिन्न वर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लागू किया जाएगा.

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