
पंजाब सरकार ने दूसरे राज्यों से आए धान की स्मगलिंग या तस्करी पर रोक लगाने का एक अनूठा उपाय खोजा है. सरकार ने पूरे राज्य में राज्य भर में 'सशर्त धान खरीद' लागू कर दी है. सरकार का मानना है कि ऐसा करने से पंजाब के बाहर से सस्ता धान लाकर राज्य की सरकारी खरीद एजेंसियों को नहीं बेचा जा सकेगा. यह फैसला सोमवार को हुई बैठक में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की प्रमुख सचिव द्वारा सभी उपायुक्तों को बताया गया. सशर्त अनाज की खरीद सोमवार से शुरू हो गई है और यह मंगलवार तक जारी रहेगी.
अखबार द ट्रिब्यून के अनुसार बुधवार से बिना संबंधित डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर (डीसी) की पूर्व मंजूरी के धान की खरीद नहीं की जाएगी. कार्यकारी मजिस्ट्रेट स्तर का एक अधिकारी ऐसी खरीद की निगरानी करेगा और बिक्री के लिए लाए गए धान का खुद निरीक्षण करेगा. इसके साथ ही, सरकार ने अस्थायी धान खरीद केंद्रों को बंद करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. पिछले हफ्ते ऐसा ही कदम फाजिल्का, तरनतारण और अमृतसर जैसे करीबी जिलों में भी लागू किए गए थे. यहां अगस्त-सितंबर में आई बाढ़ से धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचने के बावजूद मंडियों में आवक पिछले वर्ष के स्तर के समान रही.
सूत्रों के अनुसार, प्रधान सचिव राहुल तिवारी ने सभी उपायुक्तों (डीसी) को निर्देश दिया कि सोमवार और मंगलवार को केवल उन्हीं किसानों से धान खरीदा जाए, जिनकी फसल का ढेर एक फोटो में किसान, खरीद एजेंसी निरीक्षक और मंडी पर्यवेक्षक के साथ दिखाया गया हो. फोटो में उसी दिन का अखबार भी दिखाई देना चाहिए ताकि तारीख की पुष्टि हो सके. इन तस्वीरों को शाम तक जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रकों को भेजना अनिवार्य है, ताकि वे उन्हें आगे उपायुक्तों को सौंप सकें.
बुधवार से सिर्फ डीसी की मंजूरी के बाद ही धान की खरीद की जाएगी. साथ ही खरीद के समय कार्यकारी मजिस्ट्रेट की मंडी में मौजूदगी अनिवार्य होगी. इस अधिकारी को खरीद की पुष्टि वाली फोटो में भी शामिल होना होगा. अब तक राज्य की मंडियों में 149.31 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है. दो महीने पहले 3.47 लाख एकड़ में धान की फसल बाढ़ और बारिश से खराब हो जाने के कारण सरकार को संदेह है कि राजस्थान जैसे राज्यों से धान की तस्करी कर पंजाब में एमएसपी पर बेचा जा रहा है. इन राज्यों में सरकारी खरीद की गति धीमी बताई जा रही है.
अधिकारियों की मानें तो यह अवैध कारोबार कई वर्षों से जारी है, लेकिन इस साल स्थिति और गंभीर है. दरअसल, इस बार सरकार ने 175 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य तय किया था, लेकिन अगस्त-सितंबर में फसल को हुए नुकसान के चलते कुछ असामाजिक तत्वों ने इसे मुनाफे के अवसर के रूप में देखा. इसी वजह से सरकार पूरे खरीद सीजन में सतर्क रही और फाजिल्का, मुक्तसर और बठिंडा जिलों में कई एफआईआर दर्ज की गईं. अब जब धान का सीजन करीब खत्म हो गया है तो संशोधित अनुमानित खरीद 155 से 160 लाख मीट्रिक टन के बीच रहने की संभावना है क्योंकि मंडियों में रोजाना की आवक घटकर सिर्फ 2.19 लाख मीट्रिक टन रह गई है.
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