DORB खली के निर्यात पर लगी रोक हटेगी? SEA ने बाजार खोने को लेकर जताई चिंता, सरकार को भेजी चिट्टी  

DORB खली के निर्यात पर लगी रोक हटेगी? SEA ने बाजार खोने को लेकर जताई चिंता, सरकार को भेजी चिट्टी  

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरकार से डी ऑइल राइस ब्रान (DORB) यानी चावल की भूसी से बना उत्पाद (एक तरह की खली) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश पर फिर से विचार करने की अपील की है. केंद्रीय मंत्रियों को लिखे पत्र में एसईए ने कहा कि इस निर्णय से कई क्षेत्रों पर दूरगामी नकारात्मक नतीजे हो सकते हैं.

एसईए ने डी ऑइल राइस ब्रान पर रोक हटाने की अपील की है.एसईए ने डी ऑइल राइस ब्रान पर रोक हटाने की अपील की है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 05, 2024,
  • Updated Nov 05, 2024, 6:18 PM IST

केंद्र सरकार ने डी ऑइल राइस ब्रान (DORB) यानी चावल की भूसी से बना उत्पाद (एक तरह की खली) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. बीते साल 2023 में भी इसके निर्यात पर रोक लगाई गई थी, ताकि घरेलू चारे की कीमतों को स्थिर रखा जा सके और दूध की कीमतों में बढ़ोतरी को रोका जा सके. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरकार से इस रोक को हटाने के लिए विचार करने की अपील की है.

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरकार से डी ऑइल राइस ब्रान (DORB) यानी चावल की भूसी से बना उत्पाद (एक तरह की खली) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश पर फिर से विचार करने की अपील की है. केंद्रीय मंत्रियों को लिखे पत्र में एसईए ने कहा कि इस निर्णय से कई क्षेत्रों पर दूरगामी नकारात्मक नतीजे हो सकते हैं.

एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने कहा कि भारत प्रोटीन (ऑइल मील) यानी खली सरप्लस वाला देश है और DORB यानी चावल की भूसी की खली का कुल निर्यात इसके उत्पादन का 10 फीसदी से भी कम है. इसके निर्यात पर प्रतिबंध से धान किसानों के साथ साथ प्रोसेसर और निर्यातकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिससे उन्हें अपनी उपज पर बेहतर रिटर्न पाने में बाधा आ रही है.

उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 30 वर्षों में डीओआरबी के लिए सफलतापूर्वक निर्यात बाजार को विकसित किया है. उन्होंने कहा कि यह मुख्य रूप से वियतनाम, थाईलैंड, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देशों इसका निर्यात करता है. इससे भारत ने अपना बाजार बनाया है. उन्होंने कहा कि डीओआरबी के निर्यात पर अचानक प्रतिबंध ने अन्य दूसरे निर्यातक देशों को भारतीय निर्यात बाजार पर कब्जा करने का अवसर दिया है. 

देश के पूर्वी राज्य खासकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा डीओआरबी यानी चावल की भूसी की खली के बड़े उत्पादक हैं. देश के इस हिस्से में पशु चारा उद्योग अविकसित है, और इसकी मांग सीमित है. उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत से डीओआरबी को भारत के दक्षिणी या पश्चिमी हिस्सों जैसे प्रमुख खपत वाले क्षेत्रों में ले जाने के लिए डीओआरबी के निपटान का सबसे सुविधाजनक तरीका है. 

डीओआरबी यानी चावल की भूसी की खली के निर्यात पर प्रतिबंध की वजह घरेलू चारे की कीमतों को स्थिर करना और दूध की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है. एसईए का कहना कि जुलाई 2023 में डीओआरबी पर निर्यात प्रतिबंध की मुख्य वजह पशु आहार की अधिक लागत के चलते दूध की ऊंची कीमतें थीं. हालांकि, दूध की कीमत में डीओआरबी की लागत नाममात्र है.

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