नीति आयोग ने अपने उस विवादित सुझाव को वापस ले लिया है जिसमें भारत में सोयाबीन तेल और अन्य कृषि उत्पादों के आयात में छूट देने का प्रस्ताव दिया गया था. इस सुझाव को वापस लेने की बात केंद्रीय योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने 'Moneycontrol' से एक बातचीत में दी. उन्होंने कहा, 'रिपोर्ट (नीति आयोग) वापस ले ली गई है.'
दरअसल, नीति आयोग की इस रिपोर्ट ने लोगों को चौंका दिया है क्योंकि भारत और अमेरिका 9 जुलाई से पहले एक समझौते पर मुहर लगाने की कोशिश कर रहे हैं. यह वही तारीख है जब ट्रंप के टैरिफ पर रोक खत्म हो जाएगी. 'मनीकंट्रोल' की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि और डेयरी एक अहम मुद्दा बनकर उभरे हैं, क्योंकि अमेरिका भारतीय बाजारों तक अधिक पहुंच चाहता है. दोनों ही भारत के लिए अहम मुद्दे हैं, क्योंकि इनका असर लाखों किसानों की रोजी-रोटी पर पड़ता है.
नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार (कृषि नीति) राका सक्सेना और सदस्य रमेश चंद ने मिलकर 'नई अमेरिकी व्यापार व्यवस्था के तहत भारत-अमेरिका कृषि व्यापार को बढ़ावा देना' नामक रिसर्च पेपर लिखा है. मई में जारी इस पेपर की किसान समूहों और उद्योग संघों ने तीखी आलोचना की थी. इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, "सरकार के भीतर मंत्रालयों के बीच रायशुमारी हुई है... मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए कुछ चिंताए जताई गई हैं. नीति आयोग कुछ नया पेपर लेकर आ सकता है."
नीति आयोग के रिसर्च पेपर में प्रोसेसिंग यूनिट में तेल निकालने के लिए अमेरिका से जीएम सोयाबीन के बीजों के आयात का प्रस्ताव रखा गया था, और उसके बचे हुए मील यानी खली को वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए निर्यात करने का इरादा था. इसने सुझाव दिया गया था कि सख्त रेगुलेटरी कंट्रोल के तहत सोयाबीन के बीजों जैसे जीएम प्रोडक्ट के आयात को शुरू किया जा सकता है.
पेपर में लिखा गया था, "भारत दुनिया में खाने के तेल का सबसे बड़ा आयातक है, और अमेरिका के पास जीएम सोयाबीन की बड़ी सरप्लस खेप है. भारत घरेलू उत्पादन को प्रभावित किए बिना सोयाबीन तेल के आयात पर अमेरिका को कुछ रियायत दे सकता है." हालांकि भारत ने पारंपरिक रूप से जीएम फसल के आयात पर सधा हुआ रुख अपनाया है, जिसमें किसानों की रोजी-रोटी पर संकट का हवाला दिया गया है. संभवतः इन सभी बातों को देखते हुए नीति आयोग ने अपने पेपर को वापस ले लिया है.