केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने गुरुवार को कहा कि भारत का चीनी क्षेत्र 1.3 लाख करोड़ रुपये का उद्योग बन गया है और यह ग्रामीण समृद्धि और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा दे रहा है. मंत्री 'सहकारी चीनी उद्योग सम्मेलन 2025' और 'राष्ट्रीय दक्षता पुरस्कार समारोह' को संबोधित कर रहे थे. जोशी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत का चीनी सेक्टर 1.3 लाख करोड़ रुपये सालाना का उद्योग बन गया है, जो रिकॉर्ड इथेनॉल मिश्रण और ईंधन में आत्मनिर्भरता जैसे सुधारों के माध्यम से ग्रामीण समृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और हरित ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है."
उन्होंने कहा कि यह देखना प्रेरणादायक है कि कैसे इस क्षेत्र का विकास भारत के लिए एक स्थायी, आत्मनिर्भर भविष्य को आकार दे रहा है. इस कार्यक्रम का आयोजन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड द्वारा किया गया था. इसकी स्थापना 1960 में भारत में एक मजबूत और जीवंत सहकारी चीनी क्षेत्र बनाने के लिए की गई थी.
देश भर की सभी सहकारी चीनी मिलें और राज्य सहकारी चीनी संघ इसके सदस्य हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अनुकूल नीतिगत पहलों की मदद से मोदी सरकार के पिछले 11 वर्षों में भारत की इथेनॉल उत्पादन क्षमता चार गुना से अधिक बढ़कर 1,810 करोड़ लीटर सालाना हो गई है.
बढ़ी हुई स्थापित उत्पादन क्षमता के साथ, पेट्रोल के साथ इथेनॉल का मिश्रण 2013 के 1.53 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 19 प्रतिशत हो गया है, जिससे विदेशी मुद्रा में भारी बचत हुई है - 1.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक - साथ ही गन्ना और खाद्यान्न किसानों को भी लाभ हुआ है.
बता दें कि भारत में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कनार्टक में होता है, जबकि कई अन्य राज्य भी उत्पादन में शामिल हैं. उक्त तीन राज्य देश के कुल उत्पादन में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं. चालू चीनी मार्केटिंग सीजन में गन्ने की कमी के कारण गिरावट दर्ज की जा रही है. लेकिन, अक्टूबर 2025 से शुरू होने जा रहे आगामी मार्केटिंग सीजन को लेकर चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है, क्योंकि पिछले साल मॉनसून में अच्छी बारिश हुई थी. (पीटीआई के इनपुट के साथ)