त्योहारी सीजन में टाइट रहेगी चीनी की सप्लाई, क्या आयात की भी आ सकती है नौबत?

त्योहारी सीजन में टाइट रहेगी चीनी की सप्लाई, क्या आयात की भी आ सकती है नौबत?

त्योहारी सीजन में चीनी की सप्लाई थोड़ी टाइट रह सकती है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि चालू सीजन से घरेलू बिक्री के लिए 90 लाख टन चीनी उपलब्ध रह सकती है जो कि मांग के मुताबिक कम है. पिछला स्टॉक पर्याप्त नहीं रहा तो सप्लाई में कमी आ सकती है.

Indian farmers troubled by sugar dumpingIndian farmers troubled by sugar dumping
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 04, 2025,
  • Updated Jul 04, 2025, 2:52 PM IST

अगस्त से नवंबर तक भारत में घरेलू बाजार में बिक्री के लिए चालू सीजन से 90 लाख टन चीनी उपलब्ध हो सकती है, जिसे त्योहारी मांग के कारण आपूर्ति के मामले में बहुत कम माना जाता है. चूंकि सरकार और चीनी मिलें अक्टूबर से अगले पेराई सत्र की जल्दी शुरुआत की उम्मीद कर रही हैं, ताकि उपलब्धता में वृद्धि हो सके, इसलिए मॉनसून की बारिश यह तय करने में बड़ा रोल निभाएगी कि चीनी का आयात किया जाए या नहीं.

2024 में, अगस्त से नवंबर तक के दौरान सरकारी आवंटन 93 लाख टन था और 2023-24 सीज़न से 80 लाख टन स्टॉक मिलने के कारण इस सीज़न में स्थिति आरामदायक रही. चीनी उद्योग के एक विशेषज्ञ ने कहा कि अगर क्लोजिंग स्टॉक 47 लाख टन (2025-26 सीज़न के लिए आगे ले जाने के लिए) तक गिर जाता है, तो सरकार को अगले सीज़न के पहले दो महीनों के दौरान 30-35 लाख टन उत्पादन करने के लिए मिलों की जरूरत हो सकती है. मिलों ने 2024-25 सीज़न के अक्टूबर-नवंबर के दौरान 28 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था.

पिछले साल से कम चीनी उपलब्ध

सरकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि 30 जून को चीनी का क्लोजिंग स्टॉक लगभग 110 लाख टन था और जुलाई के दौरान घरेलू बिक्री के लिए 20 लाख टन चीनी कोटा जारी किया गया. अक्टूबर 2024-जुलाई 2025 के दौरान अब तक चीनी कोटा का कुल आवंटन 230 लाख टन तक पहुंच गया, जो एक साल पहले की अवधि में 240 टन से 6 प्रतिशत कम है. भारत में 2024-25 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में रिकॉर्ड 290 लाख टन चीनी की खपत हुई थी.

उत्तर प्रदेश की एक चीनी मिल के बड़े अधिकारी ने कहा, "जून में मॉनसून के समय से पहले आने और देश के कई हिस्सों में गर्मियों के दौरान सामान्य से कम तापमान के कारण चीनी की बिक्री 23 लाख टन के आवंटित कोटे से लगभग 10 लाख टन कम रही. पिछले साल की तुलना में मई में भी मांग कम रही. अब मिलों को त्योहारी सीजन में मांग में तेजी की उम्मीद है, जो रक्षाबंधन से शुरू होता है और उसके बाद गणपति पूजा, दशहरा और दिवाली आते हैं."

चीनी उत्पादन पर मॉनसून का असर

इस बीच, भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 1 जून से 3 जुलाई के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मॉनसून की बारिश सामान्य से 57 प्रतिशत अधिक और पूर्वी क्षेत्र में सामान्य से 3 प्रतिशत कम रही. मध्य महाराष्ट्र में अब तक 36 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, लेकिन मराठवाड़ा क्षेत्र में 37 प्रतिशत कम और विदर्भ में 3 प्रतिशत कम बारिश हुई है. उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र गन्ना उत्पादन के दो सबसे बड़े उत्पादक हैं.

उत्तर प्रदेश के बारिश के आंकड़ों से पता चलता है कि अगर मेरठ में सामान्य से 109 प्रतिशत अधिक (दोगुने से भी अधिक) बारिश हुई है, तो बगल के शामली जिले में सामान्य से 46 प्रतिशत कम बारिश हुई है. खीरी और सीतापुर, गोंडा और बलरामपुर, पीलीभीत और बरेली जैसे कई अन्य जिले हैं, जहां बारिश का पैटर्न एक-दूसरे से अलग है.

कृषि वैज्ञानिकों ने उत्तर प्रदेश के किसानों को रेड रॉट रोग के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है क्योंकि इस समय लंबे समय तक जलभराव से गन्ना खराब हो सकता है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा कि सितंबर में कटाई के समय भी अधिक बारिश से कोई खतरा नहीं हो सकता है.

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