कानपुर के इस मंदिर से होती है मॉनसून की भविष्‍यवाणी, गांव के लोग ऐसे लगाते हैं अनुमान

कानपुर के इस मंदिर से होती है मॉनसून की भविष्‍यवाणी, गांव के लोग ऐसे लगाते हैं अनुमान

कानपुर के बेहटा गांव में स्थित प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर बारिश की भविष्यवाणी के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर की प्रतिमा पर गिरने वाली बूंदों से ग्रामीण मानसून का अंदाजा लगाते हैं, और यह अनुमान अक्सर सटीक साबित होता है.

Kanpur jagannath temple Monsoon PredictionKanpur jagannath temple Monsoon Prediction
क‍िसान तक
  • Kanpur,
  • Jul 04, 2025,
  • Updated Jul 04, 2025, 11:01 AM IST

कानपुर के पास एक ऐसा प्राचीन मंदिर मौजूद है, जो मॉनसून के आने से पहले ही बारिश की स्थिति का संकेत दे देता है. सदियों पुरानी इस परंपरा में लोगों की गहरी आस्था है और हर साल यहां का यह अनोखा नज़ारा लोगों को चकित कर देता है. बेहटा और आसपास के गांव के लोगों का दावा है कि यह मंदि‍र करीब 4 हजार साल पुराना है. इस मंदिर से संकेत मिल जाता है कि इस साल कैसे बारिश होगी. ये भविष्यवाणी सटीक साबित होती है. इसलिए लोगों की मंदिर में आस्था है.

शहर से 45 किलोमीटर दूर है मंद‍िर

शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर, घाटमपुर के बेहटा गांव में स्थित भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि वर्षा की भविष्यवाणी के लिए भी प्रसिद्ध है. लोग मौसम विभाग के अलावा यहां की भविष्यवाणी को भी काफी मानते हैं. यही वजह है कि देश-विदेश से कई वैज्ञानिक भी इस रहस्य को समझने के लिए यहां आ चुके हैं.

बूंदों से पता चलता है कैसा रहेगा मॉनसून

मंदिर के महंत केपी शुक्ला बताते हैं कि मॉनसून से लगभग एक हफ्ता पहले, भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा पर मंदिर के गुंबद से पानी की बूंदें गिरने लगती हैं. उनका कहना है कि अगर पत्थर हल्की नमी लिए हो तो कम बारिश होती है, बूंदें साफ दिखाई दें तो सामान्य बारिश होती है और अगर बूंदें ज्यादा मात्रा में हों तो अच्छी बारिश के संकेत होते हैं. इस साल भी उन्होंने अच्छा मानसून होने की संभावना जताई है.

अब तक नहीं सुलझ पाया रहस्य

महंत का कहना है कि यह मंदिर ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर से भी पुराना है. यहां मौर्य, गुप्त और सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भी मिले हैं. रविवार की रात भी प्रतिमा पर बूंदें देखी गईं. कई वैज्ञानिक अब तक इसकी जांच कर चुके हैं, मगर इसका रहस्य अब भी अनसुलझा है. 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण को लेकर चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक एस. एन. सुनील पांडेय बताते हैं कि उन्होंने दो बार मंदिर का निरीक्षण किया. उनके मुताबिक, पत्थर में नमी जमने से बूंदें बन जाती हैं, जिसे लोग मॉनसून का संकेत मानते हैं. हालांकि, इसके पीछे का असली कारण अब भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है.

ग्रामीणों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं

गांव के बुजुर्ग भगवान दीन का कहना है कि यह चमत्कार हर साल दिखाई देता है और भविष्यवाणियां अक्सर सही साबित होती हैं. गांव की ही अंशिका वर्मा बताती हैं कि भीषण गर्मी के बीच प्रतिमा पर बूंदें देखना रहस्य जैसा लगता है. उनके पूर्वज भी इन्हीं बूंदों के आधार पर मॉनसून का अंदाजा लगाया करते थे. (सिमर चावला की रिपोर्ट)

MORE NEWS

Read more!