Monsoon Crop Care: मॉनसून में फसलों की रखवाली कैसे करें? जानिए आसान तरीके

Monsoon Crop Care: मॉनसून में फसलों की रखवाली कैसे करें? जानिए आसान तरीके

वर्षा पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को धान, मक्का, ज्वार, लोबिया और सब्जियों की खेती से जुड़ी जरूरी सलाह दी गई है. जल निकास, उर्वरक प्रबंधन और पौधशाला की तैयारी पर विशेष जानकारी प्राप्त करें.

How to take care of crops during monsoonHow to take care of crops during monsoon
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 08, 2025,
  • Updated Jul 08, 2025, 10:24 PM IST

मॉनसून के आगमन को देखते हुए किसानों को अपनी खेती के कामों में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में अच्छी वर्षा की संभावना है, इसलिए किसानों को कुछ जरूरी कृषि कार्यों को सावधानी से करने की सलाह दी जाती है. बारिश के मौसम में सबसे जरूरी है कि खेतों में पानी का जमाव न हो. सभी फसलों, सब्जियों और नर्सरी क्षेत्रों में जल निकास की उचित व्यवस्था करें. जहां पानी रुकता हो, वहां नालियां बनाकर पानी बाहर निकालें. इस समय खड़ी फसलों और सब्जियों पर किसी भी प्रकार का छिड़काव न करें, क्योंकि बारिश से दवा बह सकती है और फसल को नुकसान हो सकता है.

धान की रोपाई से पहले इन बातों का रखें ध्यान

जिन किसानों की धान की नर्सरी 20-25 दिन की हो गई है, वे अब रोपाई शुरू कर सकते हैं.

  • पंक्ति से पंक्ति की दूरी: 20 सेमी
  • पौध से पौध की दूरी: 10 सेमी
  • उर्वरक का प्रयोग:
  • नाइट्रोजन – 100 किग्रा/हेक्टेयर
  • फास्फोरस – 60 किग्रा/हेक्टेयर
  • पोटाश – 40 किग्रा/हेक्टेयर
  • जिंक सल्फेट – 25 किग्रा/हेक्टेयर

जहां खेतों में पानी जमा रहता है, वहां नील हरित शैवाल का एक पैकेट प्रति एकड़ डालें. इससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ेगी. धान के खेतों की मेड़ें मजबूत करें, ताकि वर्षा का अधिक से अधिक पानी खेत में संचित किया जा सके.

पौधों में पीला पन दिखे तो करें यह उपाय

अगर धान की नर्सरी में पौधों का रंग पीला हो रहा है और ऊपर की पत्तियां पीली जबकि नीचे की हरी हैं, तो यह लौह तत्व (Iron) की कमी का संकेत है. इसके लिए 0.5% फेरस सल्फेट + 0.25% चूना मिलाकर छिड़काव करें.

इस विधि से करें मक्का की बुवाई

इस समय मक्का की बुवाई के लिए उत्तम समय है. किसान निम्नलिखित संकर या उन्नत किस्मों का चयन करें:

  • संकर किस्में: ए एच-421, ए एच-58
  • उन्नत किस्में: पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4
  • बीज की मात्रा: 20 किग्रा/हेक्टेयर
  • पंक्ति से पंक्ति की दूरी: 60-75 सेमी
  • पौध से पौध की दूरी: 18-25 सेमी
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए: एट्राजिन 1-1.5 किग्रा/हेक्टेयर को 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. साथ ही जल निकास का प्रबंधन अवश्य करें.

चारे वाली फसलें की बुवाई

यह समय ज्वार और लोबिया की बुवाई के लिए उपयुक्त है. किसान निम्नलिखित किस्मों की बुवाई करें:

  • ज्वार की किस्में: पूसा चरी-9, पूसा चरी-6
  • बीज की मात्रा: 40 किग्रा/हेक्टेयर
  • लोबिया की बुवाई भी इसी समय करें, जो पशु चारे के लिए उपयोगी होता है.

सब्जी का पौध करें तैयार

  • मिर्च, बैंगन और फूलगोभी (सितम्बर में तैयार होने वाली किस्में) की पौधशाला तैयार करने का यह सही समय है.
  • पौधशाला को कीटों से बचाने के लिए नायलॉन की कीट अवरोधक जाली लगाएं.
  • तेज धूप से बचाने के लिए 6.5 फीट ऊँचाई पर छायादार नेट लगाएं.
  • बीजों को केप्टान (2 ग्राम/किग्रा बीज) से उपचारित कर बोएं.

बारिश के मौसम में खेतों में जलभराव और बीमारियों का खतरा अधिक होता है. ऐसे में किसानों को समय पर उचित कदम उठाने चाहिए. जल निकास की व्यवस्था, पौधशाला की सही देखभाल, संतुलित उर्वरक का प्रयोग और बीजों का उपचार- यह सभी बातें आपकी फसल को बेहतर उत्पादन देने में मदद करेंगी.

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