केंद्र सरकार ने 2025-26 तक पेट्रोल में 20 फीसदी तक इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा है. अनुमान है कि इस टारगेट को हासिल करने में 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी. इसे पूरा करने के लिए इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (Ethanol Blending Programme) यानी ईबीपी कार्यक्रम चलाया जा रहा है. मौजूदा वक्त में इसकी क्या स्थिति है, इसे जान लेते हैं. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने बताया है कि ईबीपी कार्यक्रम के तहत 2022-23 के दौरान 12 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग की गई है. इसकी वजह से एक वर्ष के दौरान लगभग 509 करोड़ लीटर पेट्रोल बचाया गया है. जिसकी वजह से 24,300 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा बची है.
हालांकि, असली सवाल यह है कि इससे किसानों को कितना फायदा हुआ है? लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने बताया है कि इथेनॉल ब्लेंडिंग की वजह से चीनी मिलों के पास नगदी आई, जिससे किसानों को लगभग 19,300 करोड़ रुपये का शीघ्र भुगतान हुआ है. यही नहीं 108 लाख मीट्रिक टन CO2 की कमी हुई है. दरअसल, इथेनॉल ग्रीन फ्यूल है, जिससे पर्यावरण कम प्रदूषित होता है. दावा है कि पेट्रोल की तुलना में यह 20 फीसदी कम हाइड्रोकार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करता है.
इसे भी पढ़ें: दालों के बढ़ते दाम के बीच पढ़िए भारत में दलहन फसलों की उपेक्षा की पूरी कहानी
दरअसल, भारत में इथेनॉल के उत्पादन के लिए रॉ मैटेरियल भरपूर है. इथेनॉल गन्ना, मक्का, चावल और आलू से बन सकता है और इनका यहां बंपर उत्पादन होता है. हमारे यहां गन्ना खूब पैदा होता है. खासतौर पर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे सूबों में गन्ने की बंपर पैदावार होती है. इन राज्यों में गन्ने की खेती को और विस्तार देने की क्षमता है. अकेले उत्तर प्रदेश में ही हर साल 200 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन की क्षमता है. यह सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक राज्य है. इसी तरह देश के दूसरे बड़े गन्ना उत्पादक महाराष्ट्र में इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने की काफी संभावना है. इसी तरह यहां पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, यूपी और ओडिशा आदि में धान का खूब उत्पादन होता है.
चीनी उद्योग ने इथेनॉल उत्पादन के लिए पिछले तीन साल में लगभग 15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इंडस्ट्री को उम्मीद है कि इथेनॉल से उसकी आर्थिक सेहत में सुधार होगा. भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने पिछले दिनों संगठन की 89वीं वार्षिक आम बैठक में इस बात की जानकारी दी थी. इथेनॉल उत्पादन क्षमता 3 साल पहले 280 करोड़ लीटर थी जो 766 करोड़ लीटर हो गई है. चीनी उद्योग ने हैवी शीरे से बने इथेनॉल की कीमत 59 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 64 रुपये प्रति लीटर करने की मांग की है.
इसे भी पढ़ें: उर्वरकों में कब आत्मनिर्भर होगा भारत, जानिए कितना है घरेलू उत्पादन और इंपोर्ट का क्या है हाल?