Cotton Pest Attack: उत्तर भारत में हरा तेला कीट का बड़ा अटैक, खतरे में कपास की फसल...जांच में जुटी टीम

Cotton Pest Attack: उत्तर भारत में हरा तेला कीट का बड़ा अटैक, खतरे में कपास की फसल...जांच में जुटी टीम

उत्‍तर भारत में कई जिलों में कपास की फसल पर हरे लीफहॉपर यानी हरा तेला का प्रकोप देखा जा रहा है. दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (SABC), जोधपुर के एक एक फील्ड सर्वे में यह बात सामने आई है. यह सर्वे हरियाणा (हिसार, फतेहाबाद, सिरसा), पंजाब (मानसा, बठिंडा, अबोहर, फाजिल्का) और राजस्थान (हनुमानगढ़, श्री गंगानगर) के प्रमुख कपास उत्पादक जिलों में किया गया था.

Cotton Crop Green Leafhopper attackCotton Crop Green Leafhopper attack
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 31, 2025,
  • Updated Jul 31, 2025, 9:16 PM IST

हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के कई जिलों में कपास की फसल पर हरे लीफहॉपर यानी हरा तेला का प्रकोप देखा जा रहा है. दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (SABC), जोधपुर की ओर से प्रोजेक्ट बंधन के तहत हाल ही में चलाए गए एक फील्ड सर्वे में यह बात सामने आई है. इस सर्वे में हरियाणा (हिसार, फतेहाबाद, सिरसा), पंजाब (मानसा, बठिंडा, अबोहर, फाजिल्का) और राजस्थान (हनुमानगढ़, श्री गंगानगर) के प्रमुख कपास उत्पादक जिलों में कपास पर हरे लीफहॉपर (जैसिड) के प्रकोप का पता चला है. इस लीफहॉपर को आमतौर पर ‘हरा तेला’ के रूप में जाना जाता है. 

डॉ. दिलीप मोंगा, डॉ. भागीरथ चौधरी, डॉ. नरेश, दीपक जाखड़ और केएस भारद्वाज के नेतृत्व वाली फील्ड टीम ने प्रति पत्ती 12-15 लीफहॉपर के संक्रमण की सूचना दी, जो आर्थिक सीमा स्तर (ETL- Economic Threshold Level) से काफी ऊपर है. फील्ड सर्वे में पता चला कि केवल प्रति पत्ती लीफहॉपर की खतरनाक संख्या की सूचना मिली है, जबकि ग्रेडिंग प्रणाली के आधार पर कपास के पत्तों को होने वाला नुकसान भी ईटीएल से अधिक था.

पत्तियों का पीलापन है मुख्य लक्षण

पिछले तीन हफ़्तों से, लगातार हरे लीफ़हॉपर (जैसिड) की आबादी ETL से ज़्यादा हो गई है, जिससे पत्तियों के किनारों का पीलापन और नीचे की ओर मुड़ाव देखा जा रहा है, जो जैसिड के हमले के विशिष्ट लक्षण हैं. इस प्रकोप का कारण मौसम की कई स्थितियां बताई जा रही हैं, जिनमें औसत से ज़्यादा बारिश, बारिश के दिनों की संख्या में वृद्धि, लगातार नमी और बादल छाए रहना शामिल है. इन सभी फैक्टर ने जैसिड को बढ़ाने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा की हैं. एक्सपर्ट ने पुष्टि की है कि उत्तरी कपास उत्पादक क्षेत्र में यह एक दशक का सबसे बुरा प्रकोप है.

"लीफहॉपर का प्रकोप ऐसे समय में सामने आया है जब कपास की फसल खड़ी है, और कुल मिलाकर स्थिति पिछले तीन-चार वर्षों की तुलना में काफ़ी बेहतर है. श्रीगंगानगर के देर से बोए गए क्षेत्रों को छोड़कर, जहां बुवाई के दौरान सिंचाई उपलब्ध नहीं थी, पूरे उत्तरी क्षेत्र में फसल मज़बूत दिखाई दे रही है", दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के उच्च तकनीक अनुसंधान एवं विकास केंद्र, सिरसा, हरियाणा के संस्थापक एवं निदेशक डॉ. भागीरथ चौधरी ने बताया.

पूरे मौसम में बढ़ती है कीट की आबादी

लीफहॉपर को आम तौर पर भारतीय कपास जैसिड या 'हरा तेला' और कपास का मौसम भर चूसने वाला कीट कहा जाता है. वयस्क लीफहॉपर बहुत सक्रिय होते हैं, इनका रंग हल्का हरा होता है और लंबाई लगभग 3.5 मिमी होती है. इनके अगले पंखों और माथे पर दो स्पष्ट काले धब्बे होते हैं, जो पत्तियों पर इनकी खास तिरछी गति से चलने के कारण आसानी से पहचाने जा सकते हैं. इसलिए इन्हें 'लीफहॉपर' कहा जाता है. लीफहॉपर की आबादी पूरे मौसम में होती है, लेकिन जुलाई-अगस्त के दौरान कीट का दर्जा प्राप्त कर लेते हैं. 

कपास में 30 परसेंट तक हानि संभव

लीफहॉपर के शिशु और वयस्क दोनों ही कपास के ऊतकों से कोशिका रस चूसते हैं और जहर फैलाते हैं जिससे 'हॉपर बर्न' लक्षण होता है, जिसमें पत्तियों का पीला पड़ना, भूरा पड़ना और सूखना शामिल है. प्रभावित पत्तियों में सिकुड़न और कर्लिंग के लक्षण दिखाई देते हैं और चरम स्थितियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कम हो जाती है, पत्तियां भूरी और सूख जाती हैं, जिससे कपास की उत्पादकता पर काफी असर पड़ सकता है और अगर इसका प्रबंधन न किया जाए तो उपज में 30 परसेंट तक की हानि हो सकती है. लीफहॉपर बैंगन, कोको, मिर्च, आलू और अन्य फसलों को भी प्रभावित करता है.

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