इटावा में चंबल नदी की बाढ़ से एक दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं और गांव में पानी घुस गया है. सड़कों और संपर्क मार्गों पर 10 फीट से अधिक पानी भर गया है. बाढ़ की भयावहता को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारी अलर्ट पर हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, चंबल नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है और बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं. इटावा क्षेत्र का बसवार गांव चंबल नदी से पूरी तरह प्रभावित हो गया है. संपर्क मार्ग पर दस फीट से अधिक पानी होने के कारण गांव में रहने वाले लगभग दो हजार लोगों का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है. बाढ़ की भयावहता को देखते हुए चंबल सेंचुरी के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं और लोगों को जलीय जीव-जंतुओं, मगरमच्छों, घड़ियालों और जंगली जानवरों के प्रति सतर्क रहने के लिए जागरूक भी कर रहे हैं.
माना जा रहा है कि बाढ़ के कारण मगरमच्छ गांव में घुस सकते हैं और पानी के सहारे वे मुख्य सड़कों पर भी आ सकते हैं, जिससे लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है. जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार गांव के लोगों को अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. बढ़पुरा क्षेत्र के मेड़िया निवासी जगपाल बताते हैं कि उनके गांव में हालात बेहद खराब हैं. लगभग 600 बीघा ज़मीन जलमग्न हो गई है और 10 फीट से ज़्यादा पानी भर गया है. बिजली पूरी तरह से कट गई है. अब ग्रामीण ऊपर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. फसलें बर्बाद होने से बड़ा नुकसान हुआ है.
चंबल सेंचुरी में तैनात वन दरोगा ओमप्रकाश बघेल का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को जागरूक करना होगा. क्योंकि भरे हुए पानी में मगरमच्छों के पहुंचने की आशंका है. स्थानीय लोगों से कहा गया है कि वे पानी में बिल्कुल न जाएं और वन्यजीवों के गांव में पहुंचने की भी आशंका है क्योंकि उनके क्षेत्र में पानी भरने से वे सूखी जगहों पर चले जाते हैं, इसलिए सुरक्षित रहें, रात में टॉर्च का प्रयोग करें और अकेले न घूमें और न ही रात में बाहर निकलें.
एसडीएम सदर विक्रम राघव ने बताया कि इटावा नगर क्षेत्र में यमुना और चंबल का जलस्तर बढ़ने से निचले इलाके के गांव प्रभावित हो रहे हैं. हमारी बाढ़ चौकियां सक्रिय हैं और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. बढ़पुरा, पचायंगांव के कुछ गांव प्रभावित हैं और वहां के लोगों के लिए सभी व्यवस्थाएं की जा रही हैं.