पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें कुल 6 फैसलों पर मुहर लगी. इनमें से दो फैसले सीधे तौर पर किसानों से जुड़े हुए है. कैबिनेट के फैसलों में नेशलन कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NCDC) को मजबूत करने के लिए 2 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. वहीं, प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना को लेकर भी बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट फैसलों को लेकर जानकारी दी है. विस्तार से जानिए...
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि कैबिनेट ने NCDC की कैपिटल 2000 करोड़ रुपये बढ़ाने के फैसले को मंजूरी दी है. NCDC को ये राशि सालाना 500 करोड़ रुपये के हिसाबस से 4 सालों में दी जाएगी. NCDC देश की को-ऑपरेटिव्स को लाेन देता है. इससे 8.25 लाख से अधिक सहकारी समितियां जुड़ी हुई हैं और इसके 29 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं. बयान के मुताबिक, 94% किसान सहकारी समितियों से जुड़े हुए हैं. इस फैसले से 13 हजार सहकारी समितियों के 3 करोड़ सदस्यों को फायदा होगा.
यह संस्था कृषि लोन, खाद वितरण, चीनी उत्पादन, दूध उत्पादन, मत्स्य क्षेत्र, गेहूं और धान की खरीद आदि के लिए लोन देकर बड़ी भूमिका निभाती है. इसके लिए नेशनल कोऑपरेशन पॉलिसी 2025, 25 जुलाई 2025 को लॉन्च की गई थी. NCDC सहकारी समितियों को लोन के माध्यम से समर्थन देने और सब्सिडी और ब्याज में छूट (सबवेंशन) योजनाओं के माध्यम से सशक्तिकरण में भूमिका निभाता है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि एनसीडीसी जितना लोन देता है, उसकी रिकवरी 99.98 प्रतिशत है यानी 0 प्रतिशत NPA. सरकार की ओर से मिलने वाले 2000 करोड़ रुपये से NCDC अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये की राशि उधारी के लिए जुटाने का काम करेगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैठक में प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना का खर्च बढ़ाकर 6520 करोड़ रुपये करने को मंजूरी दी है. PM कृषि संपदा योजना की शुरुआत 2017 में की गई थी, ताकि एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर्स, कोल्ड चेन, वैल्यू-एडेड इंफ्रास्ट्रक्चर, फूड प्रोसेसिंग और संरक्षण क्षमताओं को विकसित करने के लिए मदद देने में की जा सके.
इसके अलावा 50 इर्रेडिएशन यूनिट्स और 100 फूड टेस्टिंग लैब्स की स्थापना के लिए 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी और दुर्गम क्षेत्रों के अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) बाहुल्य क्षेत्रों पर खास ध्यान दिया जाएगा.
इर्रेडिएशन यानी विकिरण प्रक्रिया फूड प्रोसेसिंग के तहत कटाई के बाद फसल के नुकसान को कम करने, अंकुरण को रोकने,पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने, सूक्ष्मजीवों के संक्रमण को रोकने और खाद्य उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद करती है. नई लैब खुलने से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन बेहतर तरीके होगा और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पिछले 11 सालों में भारत के फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में भारी वृद्धि देखने को मिली है. इस दौरान भारत का प्रोसेस्ड फूड उत्पादों का निर्यात 5 अरब डॉलर से बढ़कर 11 अरब डॉलर हो गया. कृषि निर्यात में प्रोसेस्ड फूड का हिस्सा 14% से बढ़कर 24% हो गया है. वहीं, रजिस्टर्ड फूड और बिजनेस ऑपरेटर्स की संख्या 25 लाख से बढ़कर 64 लाख हो गई है.
इन सालों में 24 मेगा फूड पार्क और 22 एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर बनाए गए हैं, जिनकी वार्षिक क्षमता में 138 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हुई है. वहीं 11 साल में 289 कोल्ड चेन और वैल्यू-एडेड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पूरे किए गए.
इसके अलावा 305 फूड प्रोसेसिंग और प्रिजर्वेशन प्रोजेक्ट्स पूरे हुए है, जिनसे अतिरिक्त क्षमता 67 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष हासिल हुई. वहीं, ऑपरेशन ग्रीन्स के तहत 10 प्रोजेक्ट्स पूरे किए गए और 225 रिसर्च एंंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स से 20 पेटेंट्स और 52 नई तकनीकों का व्यापारिकरण/हस्तांतरण हुआ है.