सब्जी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए हमेशा अलग-अलग प्रकार की हरी सब्जियों को खाना पसंद करते हैं. ऐसे में पूरे साल मार्केट में भी हरी सब्जियों की डिमांड बनी रहती है. वहीं, कई सब्जियों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देते हैं. ऐसी ही एक सब्जी की किस्म है काशी चमन. गर्मी और बरसात के मौसम में बाजार में मिलने वाली सब्जी भिंडी की किस्म काशी चमन है. भिंडी की इस किस्म की किसानों में खूब डिमांड रहती है. किसान इसकी खेती कर बेहतर उपज और कमाई करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं काशी चमन वैरायटी की क्या खासियत है. साथ ही इसके उन्नत नस्लों के बारे में भी जानिए.
काशी चमन किस्म- भिंडी की काशी चमन एक स्वदेशी किस्म है, जो साल 2019 में वाराणसी में विकसित की गई थी. इस किस्म की खासियत ये है कि गर्मी से लेकर बरसात में भी ये बंपर पैदावार देती है. भिंडी की ये किस्म पीला मोजेक और पत्ती लपेटक इल्लियों जैसे खतरनाक कीट-रोगों के प्रकोप से मुक्त मजबूत खड़ी रहती है. रोगरोधी होने के कारण काशी चमन भिंडी में नुकसान की संभावना कम ही रहती है.
अर्का अनामिका किस्म- भिंडी की अर्का अनामिका किस्म येलो वेन मोजेक विषाणु रोग से खुद का बचाव करने में सक्षम है. इसके पौधे की लंबाई 120-150 सेमी. तक होती है और इसमें कई शाखाएं भी होती हैं. इस किस्म की भिंडी के फलों में रोंए नहीं होते और वह मुलायम होती है. यह किस्म गर्मी और बरसात दोनों के लिए उपयुक्त है.
पूसा-5 किस्म- भिंडी की उत्पादन की दृष्टि से उन्नत किस्मों में पूसा-5 किस्म काफी लोकप्रिय है. यह गर्मी के मौसम में 40 से 45 दिन और वर्षा के मौसम में 60 से 65 दिन के बाद तैयार हो जाती है.
काशी लालिमा किस्म- लाल भिंडी की खेती रबी और खरीफ दोनों सीजन में आसानी से की जा सकती है. जिस खेत में भी भिंडी की खेती करें, उसमें ध्यान रखें कि पानी ना रुके, वरना पौधे खराब हो सकते हैं. इस किस्म की फसल जल्दी तैयार हो जाती है और अधिक वक्त तक फल देती है. इसमें 45-50 दिन में ही फल मिलने शुरू हो जाते हैं और करीब 6 महीने तक मिलते रहते हैं.
वर्षा उपहार किस्म- भिंडी की वर्षा उपहार किस्म पीलिया रोग रोधी क्षमता वाली है. इसकी पैदावार 40 क्विंटल प्रति एकड़ है. इसके पौधे मध्यम, लंबे होते हैं. वहीं यह किस्म 45 दिन में फल देना शुरू कर देती है.