केंद्रीय गृह एवम सहकारिता मंत्री अमित शाह गुजरात के दौरे पर है. अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के मौके पर अमित शाह ने आनंद में देश की पहली सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी’ का भूमिपूजन और शिलान्यास किया. अमित शाह ने गुजरात के आनंद में कहा कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का भूमिपूजन और शिलान्यास सहकारिता के इतिहास में और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण और अद्वितीय कार्यक्रम है. पीएम मोदी ने तय किया कि करोड़ों गरीबों और ग्रामीणों के जीवन में आर्थिक समृद्धि के लिए सहकारिता मंत्रालय की स्थापना हो, उसके बाद एक अलग मंत्रालय की स्थापना हुई. इसके बाद 16 सहकारी नेताओं के साथ मीटिंग की और सहकारिता के विकास के लिए चर्चाए हुई थीं. एक सूची बनी इसके आधार पर चार साल बाद देखता हूं तो सहकारिता मंत्रालय ने 60 नए कदम उठाए.
अमित शाह ने कहा कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का शिलान्यास सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करेगा और सारी कमियों की पूर्ति करेगा. सहकारिता आंदोलन देश में बढ़ता जा रहा. 40 लाख कर्मी इसके साथ जुड़े हैं. 80 लाख सदस्य के अलावा देश के 30 करोड़ लोग सहकारिता के साथ जुड़े हैं. लेकिन, इनकी ट्रेनिंग या शिक्षण के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. पर अब इस यूनिवर्सिटी के बाद यहां अभ्यास करने वालों को नौकरी मिलेगी.
सहकारी क्षेत्र में चलने वाले भाई-भतीजावाद पर अमित शाह ने कहा कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी में अभ्यास से नौकरी मिलने पर सहकारिता में भाई-भतीजेवाद का आरोप अब खत्म होगा और पारदर्शिता आएगी. इससे कई समस्याओं का समाधान आएगा. प्रशिक्षित मैनपावर की जरूरत को त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी पूरी करेगी. कोऑपरेटिव में डेटा विश्लेषण, नियम, विकास की रणनीति, अनुसंधान को यूनिवर्सिटी के साथ जोड़ा गया है. यह यूनिवर्सिटी सिर्फ सहकारी कर्मी नहीं पर समर्पित सहकारी नेता भी पैदा करेगी.
अमित शाह ने कार्यक्रम में मौजूद गुजरात के शिक्षामंत्री इशारा करते हुए कहा कि CBSE ने 9 से 12 में सहकारिता को सब्जेक्ट के तौर पर अभ्यास में जोड़ा है, गुजरात सरकार भी इसे अभ्यास में जोड़े. कांग्रेस को मालूम नहीं था कि त्रिभुवन किसी ईश्वर का नहीं है, त्रिभुवन दास तो कांग्रेस के नेता थे, ये भी कांग्रेस को नहीं पता. अमित शाह ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेकर कहा, कांग्रेस ने संसद में पूछा था कि इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवन क्यों रखा जा रहा है? अमित शाह ने स्टेज से कहा- आज मैं कांग्रेस को जवाब देता हूं.
शायद कांग्रेस को मालूम नहीं था की ये नाम ईश्वर का नहीं है, बल्कि त्रिभुवन दास काशीदास पटेल के नाम से यूनिवर्सिटी का नाम रखा है. इसके लिए त्रिभुवन दास से उचित कोई व्यक्ति नहीं है. त्रिभुवन दास कांग्रेस के नेता थे, कांग्रेस को तो ये तक याद नहीं होगा. जब वें कांग्रेस में थे, तब बीजेपी थी ही नहीं. एक छोटी मंडी दूध एकत्र करने के लिए शुरू करके किसानों को सशक्त करने के लिए बड़ा अभियान त्रिभुवन दासजी ने शुरू किया था.
अमित शाह ने विपक्ष को आड़े हाथ लेकर कहा कि वो कहते हैं, सहकारिता क्षेत्र में कुरियन साहब का बड़ा योगदान है. हां, इसे कोई नकार नहीं सकता. लेकिन अमूल ही कुरियन साहब का शताब्दी वर्ष मना रही है, ये भी वो ना भूले. कुरियन साहब को त्रिभुवन दास ने ही विदेश पढ़ने भेजा था. त्रिभुवन दास ने इसी भूमि से शुरुआत की थी और वहीं हम उनके नाम से यूनिवर्सिटी बना रहे है. हम कोऑपरेटिव टैक्सी, कोऑपरेटिव बीमा भी लाना चाहते हैं. अब जब यूनिवर्सिटी बन रही है तो आह्वान करता हूं कि सभी सहकारिता से जुड़ें. इस यूनिवर्सिटी से जुड़ें और योगदान दें. यह यूनिवर्सिटी त्रिभुवन काका को पीएम मोदी की तरफ से सच्ची श्रद्धांजलि है.
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि साल 1923 से हर साल जुलाई के पहले शनिवार को सहकारिता दिवस मनाते हैं. मार्च के बाद चार महीने में यूनिवर्सिटी का शिलान्यास गृहमंत्री के हाथ से हुआ है. त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की पहली ईंट रखी जा चुकी है. 1946 में त्रिभुवन दस पटेल ने सहकारी प्रवृत्ति शुरू की थी. पीएम ने सहकारिता की दिशा में मंत्रालय बनाकर अहम कदम उठाया और अमित शाह को देश का पहला सहकारी मंत्री बनाया. 125 एकड़ जमीन में यूनिवर्सिटी बनने जा रही है.
“त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी” के कुलपति जेएम व्यास ने कहा कि यह सहकार क्षेत्र की पहली यूनिवर्सिटी है, शायद विश्व की भी पहली सहकारी यूनिवर्सिटी है. विश्व में एक दो जगह मात्र इंस्टिट्यूट चलते है. सरदार पटेल की 150वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है. यह सहकारिता के लिए अंतरराष्ट्रीय वर्ष भी है. इसके लिए पीएम और गृहमंत्री का आभारी हूं. तीन महीने में काफी काम पूरा करके तीन कोर्स शुरू करने की घोषणा की है. एक साल बाद और तीन कोर्स मिलाकर कुल 6 कोर्स शुरू करेंगे.
शिलान्यास के मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, विधानसभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी, केंद्रीय मंत्री कृष्णा पाल, केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल, गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल और मंत्री जगदीश विश्वकर्मा मौजूद रहें. जिसके बाद अमित शाह अहमदाबाद रवाना हुए और अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के मौके पर साइंस सिटी में गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश की सहकारी संस्थाओं के पदाधिकारियों के साथ संवाद किया. (अतुल तिवारी की रिपेार्ट)