हरी खाद के फायदे जानकर चौंक जाएंगे आप, धान की खेती में कर‍िए इस्तेमाल 

हरी खाद के फायदे जानकर चौंक जाएंगे आप, धान की खेती में कर‍िए इस्तेमाल 

Benefits of Green Manure: हरी खाद वाली फसलें कम समय में ही म‍िट्टी में पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ उपलब्ध कराती हैं. ऐसी फसलों की वृद्धि जल्दी होती है जिसके कारण खरपतवार की वृद्धि नहीं हो पाती है और वो मिट्टी में शीघ्र ही सड़ने योग्य हो जाते हैं. प्रमुख हरी खाद फसलों में ढैंचा, सनई, लोबिया, ग्वार, उड़द और मूंग शाम‍िल हैं.  

धान के ल‍िए तैयार हो रहे खेत में ट्रैक्टर से पलटी जा रही हरी खाद (Photo-Kisan Tak).  धान के ल‍िए तैयार हो रहे खेत में ट्रैक्टर से पलटी जा रही हरी खाद (Photo-Kisan Tak).
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jul 05, 2023,
  • Updated Jul 05, 2023, 9:38 PM IST

बिना सड़ा हुआ पौधों का वह भाग जिसे हम मिट्टी में मिलाकर खाद के रूप में उपयोग करते हैं, उसे हरी खाद कहते हैं. हरी खाद जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण अंग है. इसका मकसद वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में फ‍िक्स करना और मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ यानी स्वायल ऑर्गेन‍िक कार्बन की मात्रा को बढ़ाना है. जिसमें कम रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाए. क्योंक‍ि रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित इस्तेमाल के कारण दिन प्रतिदिन मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचान रहा है. म‍िट्टी में कुल 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. हरी खाद इन सभी तत्वों की आपूर्ति करने में मदद करती है. बल्कि मिट्टी में हार्मोन तथा विटामिन की मात्रा भी बढ़ाती है. 

ब‍िहार के पूर्वी चंपारण, परसौनी स्थ‍ित कृषि विज्ञान केंद्र के स्वायल साइंट‍िस्ट डॉ. आशीष राय ने क‍िसान तक के जर‍िए क‍िसानों को हरी खाद के फायदे बताए. डॉ. राय ने कहा क‍ि हरी खाद के लिए दलहनी फसलें एग्रो क्लाइमेट‍िक जोन के अनुसार ली जाती हैं. ये फसलें कम समय में ही बहुतायत मात्रा में कार्बनिक पदार्थ उपलब्ध कराती हैं. दलहनी फसलों की वृद्धि शीघ्र होती है जिसके कारण खरपतवार की वृद्धि नहीं हो पाती है और वो मिट्टी में शीघ्र ही सड़ने योग्य हो जाती हैं. प्रमुख हरी खाद फसलों में  ढैंचा, सनई, लोबिया, ग्वार, उड़द और मूंग शाम‍िल हैं. 

इसे भी पढ़ें: Kala Namak Rice: बासमती की तरह कैसे क‍िसानों की ताकत बनेगा काला नमक चावल? 

कब करें हरी खाद का इस्तेमाल 

दलहनी फसलों की जड़ों में जब गुलाबी या लाल ग्रंथियों का निर्माण हो जाता है, इस दशा में फसल को पलट कर मिट्टी में मिला देना चाहिए. मूंग में फलियों की तुड़ाई के पश्चात फसलों की जुताई कर मिट्टी में मिलाया जा सकता है. वैसे सामान्य तौर पर 40-60 दिन की अवस्था हो जाने पर मिट्टी पलट हल से भली प्रकार से जुताई कर 15-20 सेमी की गहराई पर फसल को मिट्टी में मिला कर खेत को पानी से भर देना चाहिए. क्योंकि ज्यादा दिन हो जाने पर कड़ा हो जाने से इसके डीकंपोजीशन की क्रिया सुचारू रूप से नहीं हो पाती है. 

फसल को मिट्टी में पलटने के पश्चात उसमें चाहे तो धान की रोपाई भी की जा सकती है. ऐसा करने से दोहरा लाभ मिल जाता है तथा धान में नाइट्रोजन की पूर्ति करने के ल‍िए यूरिया का छिड़काव किया जाता है, उस क्रिया से हरी खाद की फसल के डीकंपोजीशनन में समय मिलता है. भूमि में लगने वाली फसल की बुआई एवं हरी खाद की पलटाई के बीच का अंतर पर्याप्त हो तभी हरी खाद को मिट्टी में मिलाना उचित है.  

धान की फसल की पैदावार के साथ ही साथ अगली फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ उपलब्ध हो जाता है. मृदा संरचना में सुधार होता है तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी उपलब्धता बढ़ जाती है. हरी खाद को मिट्टी में दबाने के दो सप्ताह के अंदर मुख्य फसल की बुवाई करनी चाहिए. ताकि आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों का नुकसान न हो. 

हरी खाद के ल‍िए रखें ध्यान 

  • बुवाई के ल‍िए सही समय पर तथा सही बीज का उपयोग करना चाहिए. 
  • मुख्य फसल से प्रतियोगिता न हो इसका ध्यान रखा जाए. 
  • फूल आने के पहले कटाई की जाए. 
  • पौधे के छोटे-छोटे टुकड़े में बैठकर कटाई करनी चाहिए. 
  • मिट्टी में इसे अच्छे से दबा देना चाहिए. 
  • हरी खाद से होने वाले प्रमुख लाभ

 हरी खाद वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन को फ‍िक्स करता है, जिससे रासायनिक उर्वरकों की निर्भरता कम होती है.यह मिट्टी में गहरी जरी विकसित करता है जिसके कारण मिट्टी में वायु संचार अच्छा हो जाता है और फंगस की बीमारी कम लगती है. सूक्ष्मजीवों के लिए यह खाद्य पदार्थ का काम करता है जो इन्हें खाकर बहुत तेजी से अपनी संख्या को बढ़ाते हैं, जिससे डीकंपोजीशन तेजी से होता है.यह खरपतवारों को पनपने नहीं देता है, जिससे मुख्य पौधा तेजी से बढ़ता है. 

इसे भी पढ़ें: हर राज्य में उत्पादन लागत अलग तो एमएसपी एक क्यों, क‍िसानों के साथ कब होगा न्याय?

 

MORE NEWS

Read more!