भारत में खेती के लिए जरूरी यूरिया की खपत इस साल बहुत बढ़ गई है क्योंकि खरीफ फसलों की बुआई भी ज्यादा हुई है. लेकिन हाल में डाइ-अमोनिया फॉस्फेट (DAP) खाद की आपूर्ति में दिक्कतें आ गई हैं, जो भू-राजनीतिक कारणों से हुई हैं. इस वजह से सरकार ने यूरिया समेत अन्य जरूरी खादों के आयात का निर्णय लिया है ताकि किसानों को समय पर खाद मिल सके और उनकी फसल अच्छी हो.
1 अगस्त 2024 को भारत में यूरिया का स्टॉक सिर्फ 3.7 मिलियन टन था, जो पिछले साल इसी समय 8.6 मिलियन टन था. इसका मतलब है कि पिछले एक साल में यूरिया का स्टॉक आधे से भी कम हो गया है.
इस साल अप्रैल से जून तक यूरिया की खपत में लगभग 12% की बढ़ोतरी हुई है, जिसका असर आपूर्ति पर पड़ा है. कई राज्यों जैसे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु आदि में किसानों को यूरिया की कमी के कारण खाद मिलने में देरी हो रही है, जिसकी शिकायतें केंद्र सरकार के फर्टिलाइजर मंत्रालय तक पहुंची हैं.
सरकार ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए राष्ट्रीय उर्वरक कंपनी और इंडियन पोटाश कंपनी को 2-2 मिलियन टन यूरिया के आयात के लिए निविदा (टेंडर) जारी करने को कहा है. इसका मतलब है कि जल्द ही यूरिया की आपूर्ति बढ़ाने के लिए विदेशों से यूरिया मंगाया जाएगा.
कृषि मंत्रालय के अनुसार, पूरे खरीफ मौसम 2025 के दौरान देश को कुल 18.53 मिलियन टन यूरिया की जरूरत है. इसी समय अप्रैल से अगस्त की अवधि में 12.44 मिलियन टन यूरिया की मांग थी, जबकि उपलब्धता 16.58 मिलियन टन थी. यानी हालांकि यूरिया की कुल उपलब्धता ठीक-ठाक थी, फिर भी कुछ राज्यों में आपूर्ति बाधित हुई क्योंकि मांग बढ़ गई थी. आयात से यह स्थिति बेहतर होगी और आने वाले रबी मौसम में भी यूरिया की कमी नहीं होगी.
यूरिया और DAP जैसे खाद जमीन में जरूरी पोषक तत्व पहुंचाते हैं, जो फसल की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने में मदद करते हैं. यदि यूरिया की आपूर्ति समय पर न हो, तो किसानों की फसलें प्रभावित हो सकती हैं, जिससे उनकी आय कम हो सकती है. सरकार की यह पहल किसानों को खाद की कमी से बचाने और उनकी फसल को बढ़ावा देने के लिए बहुत जरूरी है.
बढ़ती खाद की मांग और सप्लाई में आई रुकावट के कारण सरकार ने यूरिया के बड़े पैमाने पर आयात का निर्णय लिया है. इससे खरीफ और रबी दोनों मौसम में किसानों को खाद की पर्याप्त मात्रा मिलेगी और कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी. किसानों के लिए यह एक बड़ी राहत की खबर है.