हरदोई में खाद का संकट, किसानों की परेशानी बढ़ी, खाद के लिए मारामारी

हरदोई में खाद का संकट, किसानों की परेशानी बढ़ी, खाद के लिए मारामारी

हरदोई जिले में किसानों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. खरीफ की फसल का समय है और खेतों में खाद की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, लेकिन हालात ये हैं कि किसान यूरिया खाद के लिए दिनभर खाद गोदामों और सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे हैं.

हरदोई में उर्वरक संकटहरदोई में उर्वरक संकट
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 20, 2025,
  • Updated Aug 20, 2025, 10:19 PM IST

खेती-किसानी का मौसम है लेकिन हरदोई के किसान परेशान हैं. ज़रूरत के वक़्त खाद नहीं मिल पा रही है. किसान घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन यूरिया के नाम पर उन्हें सिर्फ़ निराशा ही हाथ लगती है. सरकार दावा करती है कि किसानों के लिए भरपूर खाद उपलब्ध है, लेकिन किसानों की कतार और सहकारी समितियों के बंद केंद्रों के बाहर किसानों की भीड़ इस बात का सबूत है कि किसानों को एक-एक बोरी खाद के लिए जूझना पड़ रहा है और सरकार व प्रशासन के दावे सिर्फ़ आंकड़े हैं.

सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे किसान

हरदोई जिले में किसानों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. खरीफ की फसल का समय है और खेतों में खाद की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, लेकिन हालात ये हैं कि किसान यूरिया खाद के लिए दिनभर खाद गोदामों और सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे हैं. बावन विकास खंड के मुजाहिदपुर गांव में सहकारी समिति का शटर आज भी नहीं खुला है. केंद्र के बाहर मौजूद पुरुष और महिला किसानों का कहना है कि खाद की गाड़ियां आती तो हैं, लेकिन रसूखदार और दबंग लोगों के अलावा खाद की कालाबाजारी करने वालों के लिए खाद मौजूद रहती है, लेकिन यह खाद जरूरतमंद किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है.

धान और मक्का की फसलों पर मंडरा रहा खतरा

नतीजा ये है कि सुबह से लाइन में लगने के बाद भी शाम तक उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. कई किसान सहकारी समितियों के बाहर डेरा डालकर बैठे हैं, सुरसा में एक समिति खुली है तो दूसरी पर ताला लगा है और किसान केंद्र खुलने का इंतजार कर रहे हैं ताकि किसी तरह उन्हें खाद मिल सके और उनकी फसल बर्बाद होने से बच सके. यूरिया की किल्लत के चलते धान और मक्का जैसी फसलों पर खतरा मंडरा रहा है. किसानों का कहना है कि अगर समय पर खाद नहीं मिली तो फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा. वहीं प्रशासन का दावा है कि पर्याप्त खाद उपलब्ध है और जल्द ही सभी किसानों तक पहुंचा दी जाएगी.

सहकारी समितियों और दुकानों पर खाद की उपलब्धता

जिला प्रशासन के दावों के मुताबिक जिले की 82 सहकारी समितियों और निजी दुकानों के केंद्रों पर 4456 मीट्रिक टन यूरिया, 3649 मीट्रिक टन डीएपी और 3136 मीट्रिक टन एनपीके खाद उपलब्ध है, लेकिन हकीकत ये है कि खेतों के किसानों को इस समय सबसे ज्यादा खाद की जरूरत है, और वो भी समय पर नहीं मिल पा रही है. सवाल यह है कि आखिर कब तक किसान खाद के लिए कतार में खड़े रहेंगे और कब तक उनकी मेहनत और उम्मीदों के साथ खिलवाड़ होता रहेगा?

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