गाजर एक बहुत ही लोकप्रिय सब्जी है. ठंड के दिनों में बाजारों में गाजर की डिमांड काफी बढ़ जाती है. इसकी मांग को देखते हुए खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. गाजर की बुवाई के लिए अगस्त से सितंबर का महीना सबसे बेहतर माना जाता है. भारत के लगभग सभी राज्यों में गाजर की खेती की जाती है. ऐसे में अगर आप इस मॉनसून में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप गाजर की इस उन्नत किस्म की खेती कर सकते हैं. वहीं, आप नीचे दी गई जानकारी की सहायता से गाजर के बीज ऑनलाइन अपने घर पर भी मंगवा सकते हैं.
गाजर की खेती के लिए पूसा रुधिरा वैरायटी सबसे अच्छी मानी जाती है. यह वैरायटी ऐसी है जो कम खर्च में ज्यादा उत्पादन देती है. इसे खेत या बगीचे में उगाना आसान है. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन गाजर के बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर सकते हैं.
पूसा रुधिरा गाजर की एक खास वैरायटी है. इस किस्म की जड़ें लंबी और लाल होती हैं. पूसा रुधिरा किस्म को आईएआरआई, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म अपने उच्च पोषक तत्वों, जैसे कैरोटीनॉयड और फिनोल, जो अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाने जाते हैं उनके लिए जानी जाती है. वहीं, इस किस्म की औसत उपज 30 टन प्रति हेक्टेयर है.
अगर आप गाजर की खेती करना चाहते हैं तो पूसा रुधिरा किस्म के 250 ग्राम के पैकेट का बीज फिलहाल 38 फीसदी छूट के साथ 170 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से गाजर की खेती कर सकते हैं. साथ ही इससे बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं.
गाजर की बुवाई करने से पहले खेत को समतल कर लें. फिर खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई करें. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाएं. इससे खेत की मिट्टी भूरभूरी हो जाती है और इसमें गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला सकते हैं. एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 4 से 6 किलो गाजर के बीज की आवश्यकता होती है. वहीं, बुवाई के 12 से 15 दिन बाद बीज अंकुरित हो जाते हैं. अगर बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोते हैं, तो ये बीजों के अंकुरित होने में कम समय लगता है.