फसलों को वृद्धि और विकास के लिए 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. इसके लिए बड़ी मात्रा में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की आवश्यकता होती है, इन्हें मुख्य पोषक तत्व कहा जाता है. कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर की कम मात्रा में आवश्यकता होती है, इन्हें द्वितीयक पोषक तत्व कहा जाता है. आठ पोषक तत्व लोहा, मैंगनीज, बोरान, जस्ता, तांबा, मोलिब्डेनम, निकल, क्लोरीन पौधों की उचित वृद्धि के लिए कम मात्रा में आवश्यक होते हैं, इसलिए इन्हें सूक्ष्म पोषक तत्व कहा जाता है.
जल में घुलनशील उर्वरकों को पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करना पर्णीय छिड़काव कहलाता है. मिट्टी में पोषक तत्वों के असंतुलन और मौसम में बदलाव के कारण फसलें मिट्टी से पोषक तत्वों का पूरा उपयोग नहीं कर पाती हैं, इसलिए फसलों पर पत्तेदार छिड़काव के माध्यम से पोषक तत्वों की आपूर्ति का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है.
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जल विलेय उर्वरक | पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए उपयोग | मात्रा और फसल अवस्था |
एन.पी.के. (19:19:19) एन.पी.के. (18:18:18) | नाईट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश तत्वों की पूर्ति के लिए | 01 किग्रा./एकड की दर से सभी फसलों में 30 दिन से 60 दिन की अवधि या वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था पर करें. |
एन.पी.के. (00:52:34) | फास्फोरस व पोटाश पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए | 01 किग्रा./एकड की दर से पर्णीय छिडकाव फसलों में पुष्पन व फलन अवस्था में करे. |
एन.पी.के. (13:00:45) | नाईट्रोजन व पोटाश की पूर्ति के लिए. | - |
एन.पी.के. (00:00:50) | पोटाश पोषक तत्व पूर्ति के लिए | फसल में दाने भरते समय व फसल पकने की अवस्था तक |