Kisan Tak Summit: इंडिया टुडे (आजतक) ग्रुप का डिजिटल एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म 'किसान तक' ने शुक्रवार को लखनऊ में 'आलू अधिवेशन' आयोजित किया. 30 मई को विश्व आलू दिवस भी है जिसके अवसर पर 'किसान तक' ने यह कार्यक्रम किया. पूरे प्रोग्राम में कई पैनल परिचर्चा की बैठकें हुईं और कई सत्र आयोजित किए गए. इसी कड़ी में किसानों के कृषि वैज्ञानिक ने एक बड़ी बात कही जिससे लाखों किसानों को फायदा मिलेगा. ICAR CPRI के वैज्ञानिक ध्रुव कुमार ने बताया कि आलू चेचक रोग से बचाव के लिए किसी दवा की जरूरत नहीं है, बल्कि खेती का सही तरीका अपनाने की जरूरत है. आइए जानते हैं क्या है वो सही तरीका.
ध्रुव कुमार ने आलू में लगने वाली बीमारी के बारे में कहा, आलू में लगने वाले चेचक रोग को फसल चक्र अपना कर रोक सकते हैं. इसे किसी भी दवा या केमिकल से नहीं रोका जा सकता है. किसान फसल चक्र अपनाकर और अन्य फसलों की खेती कर ही चेचक रोग को रोक सकते हैं. आलू की खेती में मैंकोजेब की मदद से झुलसा रोग से बचाया जा सकता है.
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आलू की खेती में चेचक की बीमारी बहुत खतरनाक बीमारी है. इससे बचने के लिए किसान कई तरह की दवाओं का छिड़काव करते हैं. ऐसे में आईसीएआर सीपीआरआई मेरठ के प्रधान वैज्ञानिक ध्रुव कुमार ने बताया कि अगर आलू में चेचक की बीमारी लग जाती है तो आलू की खेती में 2 साल का अंतर रखें. यानी अगर आपने इस साल आलू की खेती की है तो 2 साल बाद फिर से आलू की खेती करें. इस बीच किसानों को सरसों और जौ की खेती करने की सलाह दी गई है.
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आलू के दाम गिरने की समस्या बड़ी है जिससे किसान परेशान रहते हैं. क्या यूपी में ऐसी कोई योजना है जिसके माध्यम से किसानों को राहत दिलाई जा सके. इस बारे में कौशल कुमार नीरज ने कहा कि यूपी में ऐसी कोई समस्या अभी नहीं देखी जा रही है. इसमें कोल्ड स्टोरेज से मदद मिल रही है क्योंकि किसान अपनी उपज को रख सकते हैं और बाद में बेच सकते हैं. किसान इसमें अपनी उपज रख सकते हैं. आज यूपी 2230 कोल्ड स्टोरेज हो गए हैं. आज हम बड़ी मात्रा में आलू को भंडारित करने की क्षमता में हैं. कोल्ड स्टोरेज होने से किसान अपनी फसल को डिस्ट्रेस सेलिंग नहीं करते हैं. इसलिए यूपी में रेट का कोई इश्यू नहीं है. अगर रेट गिरता भी है तो फसल हस्तक्षेप योजना है जिसका फायदा किसान उठा सकते हैं.