PM Kisan: उपराष्ट्रपति धनखड़ ने की पीएम किसान राशि बढ़ाने की मांग, कहा इसे 30000 रुपये तक बढ़ाना चाहिए

PM Kisan: उपराष्ट्रपति धनखड़ ने की पीएम किसान राशि बढ़ाने की मांग, कहा इसे 30000 रुपये तक बढ़ाना चाहिए

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की वर्तमान 6,000 रुपये की सालाना राशि को महंगाई के अनुसार बढ़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि यदि यह वित्तीय सहायता सीधे किसानों को दी जाए तो यह राशि 30,000 रुपये तक हो सकती है. साथ ही, उन्होंने खाद की सब्सिडी भी सीधे किसानों के खाते में डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से देने का सुझाव दिया.

Vice President demanded to increase PM amountVice President demanded to increase PM amount
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 08, 2025,
  • Updated Jun 08, 2025, 11:57 AM IST

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि किसानों को दी जाने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan) की राशि को महंगाई के अनुसार संशोधित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि किसान को मिलने वाली वित्तीय सहायता सीधे और पर्याप्त रूप में दी जाए. उपराष्ट्रपति ने डॉ. वाईएस परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि कृषि क्षेत्र को मिलने वाली अप्रत्यक्ष वित्तीय सहायता को सीधे किसान परिवारों को दी जाए, तो हर किसान को वर्ष में 30,000 रुपये तक मिल सकते हैं.

उन्होंने बताया, "इस समय किसान को 6,000 रुपये सालाना मिलते हैं, लेकिन अगर सहायता सीधी दी जाए तो यह राशि 30,000 रुपये तक हो सकती है."

देश की प्रगति का रास्ता खेतों से होकर जाता है

धनखड़ ने कहा, "एक विकसित भारत का रास्ता केवल खेतों से होकर जाता है." उन्होंने किसानों को केवल 'अन्नदाता' नहीं बल्कि 'भाग्यविधाता' भी बताया. उन्होंने कहा कि जब तक किसान का हाथ नहीं थामा जाएगा, तब तक देश की असली तरक्की संभव नहीं है.

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खाद सब्सिडी सीधे किसान को मिले

उपराष्ट्रपति ने यह भी सुझाव दिया कि जो खाद सब्सिडी सरकार देती है, उसे भी किसानों को सीधे खाते में (DBT - Direct Benefit Transfer) भेजा जाना चाहिए. इससे किसान को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलेगी कि उसे रासायनिक खाद खरीदनी है या फिर जैविक खेती करनी है.

उन्होंने कहा, "अगर खाद की सब्सिडी सीधे मिलेगी, तो किसान खुद तय करेगा कि वह रासायनिक खाद ले या फिर गोबर खाद का उपयोग करे. इससे प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा."

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किसानों की आर्थिक मजबूती ही देश की मजबूती

उपराष्ट्रपति धनखड़ का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि किसानों की आर्थिक सहायता योजनाओं में समय के अनुसार सुधार और बढ़ोतरी जरूरी है. महंगाई को देखते हुए ₹6,000 की सालाना राशि अब नाकाफी है. इसके अलावा, खाद जैसी सब्सिडियों को DBT के जरिए देना, न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि किसानों को सशक्त और आत्मनिर्भर भी बनाएगा.

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