
उत्तर प्रदेश के मेरठ में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने कल ज़िला मुख्यालय पर अनोखा प्रदर्शन किया. यहां किसान अपनी तमाम मांगों को लेकर बड़ी संख्या में लामबंद हुए और फिर मेरठ के कमिश्नरी चौराहे से प्रदर्शन करते हुए सभी किसान जिला मुख्यालय पहुंचे. इस दौरान किसानों ने प्रदर्शन करने का तरीका भी अलग चुना. इन किसानों ने प्रदर्शन करते हुए सपेरों के साथ बीन बजवाई. कलेक्ट्रेट पर जाकर किसान धरने पर बैठ गए और यहां भी सपेरों ने जमकर बीन बजाई और प्रदर्शन किया.
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिला अध्यक्ष अनुराग चौधरी के नेतृत्व में कलक्ट्रेट परिसर में अलग-अलग मांगों को लेकर किसान प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हुए. उनका आरोप है कि लगातार हम अधिकारियों को अपनी समस्याएं बताते आ रहे हैं, इसके बाद भी उनका कोई निस्तारण नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के किसान आंदोलन को 5 साल हो गए हैं और कई मांगे अभी तक नहीं मानी गई हैं. इसके साथ ही ट्रांसपोर्टरों का भाड़ा बढ़ा दिया गया है, जिससे उन्हें दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने गन्ने के दाम 8% बढ़ाए हैं, जबकि ट्रांसपोर्ट के दाम 33% बढ़ा दिए हैं.
इस दौरान जब बीन बजाने के बारे में बीकेयू के जिला अध्यक्ष से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सपेरा समाज हमारे संगठन का कार्यकर्ता है जो इस प्रदर्शन में शामिल होने आया है. जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी ने बताया कि अनेकों जिला स्तरीय समस्याओं से किसान परेशान हैं, जिसे लेकर आज सभी किसान इकट्ठा होकर जिला मुख्यालय पहुंचे. आज ही दिल्ली आंदोलन के भी पांच साल पूरे होंगे. उसकी वर्षगांठ भी किसान जिला मुख्यालय पर मनाएंगे. उन्होंने कहा कि मांगे नहीं मानी जाती हैं तो अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब हम शाम के समय आंदोलन किया करेंगे, प्रदर्शन किया करेंगे और सुबह के समय खेतों में काम किया करेंगे.
इससे पहले कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के पांच साल पूरे होने पर बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था. लेकिन इससे पहले संगठन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन तैयार किया. इसमें मांग की गई है कि स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने के लिए तुरंत एक कानून बनाया जाए. आंदोलन के बाद ये कानून निरस्त कर दिए गए थे.
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