पंजाब में डीएपी की भारी कमी के बीच गेहूं की बुवाई शुरू, अधिकतर सहकारी समितियों के हाथ खाली

पंजाब में डीएपी की भारी कमी के बीच गेहूं की बुवाई शुरू, अधिकतर सहकारी समितियों के हाथ खाली

पंजाब के किसान डीएपी उर्वरक की भारी कमी की शिकायत कर रहे हैं. सहकारी समिति कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बहादुर सिंह ने बताया कि 3520 समितियों में से ज़्यादातर के पास अपने सदस्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त डीएपी स्टॉक नहीं है.

farmer sowing with happy seederfarmer sowing with happy seeder
क‍िसान तक
  • चंडीगढ़,
  • Oct 26, 2025,
  • Updated Oct 26, 2025, 7:44 AM IST

पंजाब में डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट ) की कमी के बीच गेहूं की बुवाई शुरू हो चुकी है. पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे किसान खुले बाजार से महंगे दामों पर और कीटनाशकों के पैकेट के साथ यह खाद खरीदने को मजबूर हैं. हालांकि आधिकारिक तौर पर सरकार का कहना है कि डीएपी की कोई कमी नहीं है और अगले महीने राज्य में पर्याप्त स्टॉक होगा. मगर दूसरी ओर चार जिलों - रोपड़, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर और पटियाला के किसान उर्वरक की भारी कमी की शिकायत कर रहे हैं.

करीब 2 लाख मीट्रिक टन डीएपी की कमी

अंग्रेजी अखबार 'द ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि गेहूं की फसल के लिए 5.50 लाख मीट्रिक टन (LMT) डीएपी की आवश्यकता के मुकाबले राज्य के पास सिर्फ 3.50 LMT है, और अगले सप्ताह लगभग 40,000 मीट्रिक टन डीएपी आने की उम्मीद है. हालांकि नवंबर में इसका और स्टॉक आने की उम्मीद है, लेकिन बुवाई के मौसम की शुरुआत में ही कमी ने किसानों में दहशत पैदा कर दी है. पिछले साल, पंजाब को रबी विपणन सत्र में केवल 4 लाख मीट्रिक टन डीएपी मिला था. 

महंगे दामों पर बेच रहे निजी व्यापारी

किसानों को इस बात का मलाल है कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के पास पर्याप्त डीएपी नहीं है, जबकि निजी व्यापारी इसे महंगे दामों पर बेच रहे हैं. 1350 रुपये प्रति बोरी की कीमत के मुकाबले, निजी व्यापारी हर बोरी पर एक कीटनाशक का टैग लगाकर 1,800-2,000 रुपये वसूल रहे हैं, जबकि किसानों को इसकी जरूरत ही नहीं है. इसके चलते आप सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने एमआरपी से अधिक कीमत पर डीएपी बेचने वाले या गरीब किसानों पर अन्य उत्पाद थोपने वाले डीलरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. 

उन्होंने राज्य के कुछ विधायकों द्वारा ऐसे बेईमान डीलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उनके लाइसेंस रद्द करने की मांग का समर्थन किया. रोपड़ विधायक दिनेश चड्ढा की शिकायत पर कुछ दिन पहले “रेक हैंडलर” के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके पास राज्य में डीएपी प्राप्त करने का लाइसेंस था.

ज़्यादातर समितियों के पास नहीं डीएपी स्टॉक

वहीं सहकारी समिति कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बहादुर सिंह ने बताया कि 3520 समितियों में से ज़्यादातर के पास अपने सदस्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त डीएपी स्टॉक नहीं है. उन्होंने कहा कि फतेहगढ़ साहिब में पिछले एक पखवाड़े से डीएपी का कोई स्टॉक नहीं आया है. आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि उन्होंने इस साल अब तक सहकारी समितियों को 1.65 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति की है.

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