उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और बिहार सहित कई गन्ना उत्पादक राज्यों में पायरिल्ला कीट एक गंभीर समस्या बनकर उभरा है. इस समय शीतकालीन और बसंतकालीन बोई गई गन्ने की फसल को यह कीट गन्ने की पत्तियों से रस चूसकर उसे कमजोर कर देता है, जिससे उपज और क्वालिटी दोनों में भारी गिरावट आती है. इसका प्रकोप मुख्य रूप से अप्रैल से अक्टूबर तक देखा जाता है. मोदी शुगर मिल मोदीनगर के गन्ना विकास प्रबंधक राजीव त्यागी ने बताया कि हाल के वर्षो में ये कीट गन्ने की फसल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है, जिसमें नवजात शिशु अप्रैल-मई में अंडे देना शुरू करते हैं और कीट की आबादी जून-जुलाई से बढ़कर अगस्त-अक्टूबर में चरम पर पहुंच जाती है. पायरिल्ला कीट गन्ने की फसल के लिए एक गंभीर खतरा है. समय पर इसकी पहचान और एकीकृत कीट प्रबंधन के उचित उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसल को इस कीट से बचा सकते हैं
राजीव त्यागी ने बताया पायरिल्ला कीट के नवजात शिशु अप्रैल-मई में अंडे देना शुरू करते हैं, जिसे आमतौर पर हॉपर के नाम से भी जाना जाता है. ये फिर गन्ने की पत्तियों से रस चूसते हैं. इसके कारण पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. इसका सीधा असर गन्ने की उपज और क्वालिटी पर पड़ता है. उन्होने बताया कि शुरुआती संक्रमण से गन्ने की उपज में लगभग 28-50 फीसदी तक की भारी कमी आ सकती है. इसके संक्रमण होने पर गन्ने में सुक्रोज की मात्रा में 2-34 फीसदी और शुद्धता में 3-26 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है. इसके कीट भूरे रंग का होता है और उसके सिर के आगे चोंच जैसी संरचना होती है. इसके निम्फ इसके पीछे दो पूंछ जैसी संरचनाएं होती हैं. इसके प्रकोप के बाद पत्तियों पर लसलसा चिपचिपा पदार्थ काली फफूंद का दिखता है.
ये भी पढ़ें:- पंजाब में गेहूं की फसल को आग से बचाने के लिए किसानों के लिए शुरू हुआ जागरूकता अभियान
पायरिल्ला कीट गन्ने की खेत सबसे पहले अप्रैल में दिखाई देते है. ये कीट पत्तियों में दिखाई देते हैं. ऐसे में इन संक्रमित पत्तियों को काटकर खेत से बाहर निकालकर जला दें या दबा दें. खेत में खरपतवारों को न जमा होने दें, क्योंकि ये कीटों के लिए आश्रय देते हैं. सुबह-शाम खेतों की नियमित निगरानी करें, ताकि शुरुआती अवस्था में ही कीटों का पता लगाया जा सके. प्रकाश प्रपंच (Light traps) का उपयोग करके वयस्क कीटों को आकर्षित कर नष्ट किया जा सकता है.
जैविक तरीके से रोकथाम
रासायनिक तरीके से रोकथाम
अगर जैविक नियंत्रण के उपाय प्रभावी न हों या प्रकोप अधिक हो, तो निम्नलिखित में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव 625 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर करें. डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. दर 1 लीटर/हेक्टेयर या प्रोफेनोफॉस 40 प्रतिशत + साइपरमेथ्रिन 4 प्रतिशत ई.सी. घोल दर 750 मिलीलीटर या क्वीनालफॉस 25 प्रतिशत ई.सी. घोल दर 800 मिलीलीटर या डाइक्लोरवास 76 प्रतिशत ई.सी. घोल दर 315 मिलीलीटर/हेक्टेयर के हिसाब से गन्ने की फसल में प्रयोग करे और हमेशा अनुशंसित मात्रा और सुरक्षा निर्देशों का पालन करें इस तरह गन्ने की फसल को सुरक्षित रख सकते है, जो और फसल की उपज गुणवत्ता दोनों के लिए बेहतर है.