ग्वार फली वह सब्जी है जो कई तरह से किसानों के काम आ सकती है. आमतौर पर इसे इंसान सब्जी के तौर पर प्रयोग करता है तो वहीं जानवरों के लिए इसे चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा इस सब्जी को खाद के लिए भी अच्छा विकल्प माना जाता है. ग्वार फली प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है तो इस वजह से इसे सेहत के लिए सर्वोत्तम करार दिया जाता है. गर्मी का मौसम इसकी खेती के लिए सही माना जाता है. इसकी खेती के कुछ खास टिप्स हैं और जिन्हें फॉलो करने पर किसान इस सब्जी से भरपूर फायदा उठा सकते हैं.
ग्वार फली, एक ऐसी सब्जी है जिसकी खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होती है. साथ ही इसकी खेती में पानी की खपत भी कम होती है तो ऐसे में सिंचाई के लिए भी बहुत इंतजाम नहीं करने पड़ते हैं. पानी की कम खपत के चलते ही इस सब्जी की खेती ज्यादातर देश के पश्चिमी भाग के सूखे हिस्से में की जाती है. उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में किसान जमकर इस सब्जी को उगाते हैं. देश में राजस्थान ही एक ऐसा राज्य है जो 80 प्रतिशत ग्वार का उत्पादन करता है. गर्मी सहन करना भी इसका एक गुण है और इस वजह से गर्मी में यह किसानों की फेवरिट फसल भी बन जाती है.
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ग्वार की खेती से अधिकतम मुनाफा हासिल करने के लिए किसानों को इसकी किस्मों को भी ध्यान में रखना होगा. ग्वार फली की किस्मों को मुख्त तौर पर तीन भागों में बांटा गया है.
किसान अगर ज्यादा से ज्यादा दानों के लिए ग्वार की खेती कर रहे हैं तो फिर उनके लिए दुर्गापुर सफेद, मरू ग्वार, दुर्गाजय, एफएस-277, अगेती ग्वार-111, आरजीसी-197, आरजीसी-417 और आरजीसी-986 जैसी किस्में ठीक रहेंगी.
वहीं अगर हरी फलियों के लिए इसकी खेती हो रही है तो शरद बहार, पूसा सदाबहार, पूसा नवबहार, पूसा मौसमी , गोमा मंजरी, आईसी-1388, एम-83 और पी-28-1-1 आदि किस्मों की खेती फायदेमंद रहती है.
वहीं अगर किसान पशुओं के चारे के लिए ग्वार की खेती करना चाहते हैं तो ग्वार क्रांति, बुन्देल ग्वार-1, बुन्देल ग्वार -2, बुन्देल ग्वार-3, मक ग्वार, एचएफजी-119, गोरा-80 और आरआई-2395-2 जैसी किस्में उनके लिए सही रहेंगी.
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