कम पानी में भी बहुत मुनाफा देती है Chia Seeds की खेती, जानें सही टेक्निक

कम पानी में भी बहुत मुनाफा देती है Chia Seeds की खेती, जानें सही टेक्निक

चीया एक औषधीय और पोषण से भरपूर बीज है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यही वजह है कि हेल्थ इंडस्ट्री, आयुर्वेद और फिटनेस सेक्टर में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. कम पानी, कम लागत और बढ़ती बाजार मांग के कारण चीया सीड्स की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनती जा रही है.

क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Dec 18, 2025,
  • Updated Dec 18, 2025, 3:41 PM IST

खेती में लगातार बढ़ती लागत और पानी की कमी के बीच किसान ऐसी फसलों की तलाश में हैं जो कम संसाधनों में अच्छा मुनाफा दें. इन्हीं फसलों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है चीया सीड्स की खेती. सुपरफूड के रूप में पहचाने जाने वाले चीया बीजों की मांग देश और विदेश दोनों बाजारों में बढ़ रही है. खास बात यह है कि इसकी खेती के लिए ज्यादा पानी और महंगे इनपुट की जरूरत नहीं होती. चीया की खेती में पर लागत काफी कम होती है. प्रति एकड़ लागत करीब 15 से 20 हजार रुपये तक होती है. वहीं बाजार में इसकी कीमत 250 से 400 रुपये प्रति किलो तक मिल सकती है. इस तरह किसान प्रति एकड़ 1.5 से 2.5 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.

चीया सीड्स के हेल्‍थ बेनेफिट्स 

चीया एक औषधीय और पोषण से भरपूर बीज है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यही वजह है कि हेल्थ इंडस्ट्री, आयुर्वेद और फिटनेस सेक्टर में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. कम पानी, कम लागत और बढ़ती बाजार मांग के कारण चीया सीड्स की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनती जा रही है. सही तकनीक और समय पर देखभाल के साथ यह फसल भविष्य में किसानों की आमदनी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती है.

खेती के लिए सही क्‍लाइमेट 

चीया की खेती के लिए शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु सबसे बेहतर मानी जाती है. चीया की फसल ज्‍यादा बारिश सहन नहीं कर पाती. साथ ही इसकी खेती के लिए तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त रहता है. चीया को कम नमी वाले क्षेत्र भी उगाया जा सकता है और ये क्षेत्र इसकी खेती के लिए आदर्श होते हैं. यही वजह है कि कम पानी वाले इलाकों के किसान इस फसल से अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

मिट्टी और खेत की तैयारी

चीया की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है. खेत को 2 से 3 बार जुताई कर भुरभुरा बना लें. अंतिम जुताई के समय 8 से 10 टन गोबर की सड़ी खाद मिला दें. खेत में पानी नहीं भरना चाहिए, इस बात का ध्‍यान रखें. चीया की बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है. इसकी खेती के लिए प्रति एकड़ लगभग 2 से 3 किलो बीज काफी हैं.  बीज को हल्की मिट्टी में छिड़काव या लाइन से बोया जा सकता है.

सिंचाई और देखभाल

चीया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बहुत कम पानी की जरूरत होती है. ऐसे में बुवाई के समय हल्की सिंचाई की जरूरत होती है. इसके बाद जरूरत अनुसार 2 से 3 सिंचाई पर्याप्त होती है. बहुत ज्‍यादा पानी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है. खरपतवार नियंत्रण के लिए शुरुआती 30 दिनों में निराई-गुड़ाई जरूरी होती है.चीया की फसल लगभग 90 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. जब पौधे सूखने लगें और बीज काले या स्लेटी रंग के हो जाएं, तब कटाई करें. अच्छी तकनीक से प्रति एकड़ 6 से 8 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है.

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