आम की बंपर पैदावार चाहिए तो दिसंबर में करें ये काम, विशेषज्ञ ने बताया खतरनाक कीट का पक्का इलाज

आम की बंपर पैदावार चाहिए तो दिसंबर में करें ये काम, विशेषज्ञ ने बताया खतरनाक कीट का पक्का इलाज

आम की भरपूर पैदावार के लिए दिसंबर का महीना सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी समय 'मीली बग' यानी गुजिया कीट जमीन से निकलकर पेड़ों पर हमला करने की तैयारी करता है. विशेषज्ञ के अनुसार, इस खतरनाक कीट को रोकने का सबसे पक्का और सस्ता इलाज 'ट्री बैंडिंग' है, जिसमें पेड़ के तने पर प्लास्टिक की पट्टी लपेटकर ग्रीस लगाया जाता है.

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क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • Dec 19, 2025,
  • Updated Dec 19, 2025, 1:16 PM IST

उत्तर भारत में आम की बागवानी करने वाले किसानों के लिए दिसंबर का महीना सबसे अहम होता है. इस समय की गई थोड़ी सी सावधानी और सही प्रबंधन आने वाले सीजन में फलों की बंपर पैदावार सुनिश्चित कर सकता है. पिछले कुछ सालों में आम की फसल के लिए सबसे बड़ा खतरा 'मीली बग' यानी गुजिया कीट बन गया है. पहले इसे एक साधारण कीट माना जाता था, लेकिन अब यह फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले कीटों में शामिल हो गया है. अगर इस महीने में सही कदम नहीं उठाए गए, तो बौर (फूल) आते ही यह कीट पूरी तरह सक्रिय होकर रस चूसने लगता है, जिससे फूल और छोटे फल झड़ जाते हैं और किसानों की पूरी मेहनत बेकार हो जाती है.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (बिहार) के प्लांट पैथोलॉजी विभाग के हेड डॉ. एस.के. सिंह बताते हैं कि मीली बग से बचाव का सबसे सही समय दिसंबर ही है. चूंकि इस कीट के बच्चे जमीन से रेंगकर पेड़ पर चढ़ते हैं, इसलिए दिसंबर के अंत तक पेड़ के तने पर ट्री बैंडिंग कर देनी चाहिए. 

मीली बग बिगाड़ सकता है आम का खेल

डॉ. सिंह के अनुसार दिसंबर का महीना आम की फसल के लिए भविष्य तय करने वाला समय होता है. इस दौरान सबसे बड़ी चुनौती 'मीली बग' यानी गुजिया कीट है, जो जमीन से निकलकर पेड़ों पर चढ़ता है और बौर का रस चूसकर उसे बर्बाद कर देता है. दिसंबर के अंत तक इसे रोकने के लिए 'बैंडिंग' तकनीक सबसे कारगर है.

इसके लिए पेड़ के तने पर जमीन से लगभग 30-40 सेमी की ऊंचाई पर 400 गेज की प्लास्टिक की शीट लपेट देनी चाहिए. इस पट्टी के दोनों सिरों को अच्छी तरह बांध दें और नीचे की तरफ 'ग्रीस' लगा दें. इससे कीट की पकड़ कमजोर हो जाती है और वह पेड़ पर नहीं चढ़ पाता. साथ ही, तने के पास की मिट्टी में क्लोरपायरीफॉस चूर्ण का बुरकाव करने से जमीन में छिपे इसके अंडे और बच्चे भी नष्ट हो जाते हैं.

कीटों से निपटने का मास्टर प्लान

दिसंबर में बाग की हल्की जुताई और गुड़ाई करना बहुत जरूरी है. ऐसा करने से मिट्टी के अंदर छिपे हुए कीट जैसे फल मक्खी, गुजिया कीट और जाले वाले कीड़ों की अवस्थाएं अंडे और प्यूपा बाहर निकल आती हैं. बाहर आने पर ये कीट या तो तेज सर्दी और धूप से मर जाते हैं या पक्षियों का शिकार बन जाते हैं. इसके अलावा, बाग से खरपतवार और पुराने फसल अवशेषों को हटाकर जला देना चाहिए. साफ-सफाई रखने से कीटों को पनपने की जगह नहीं मिलती और 'डाई-बैक' जैसे रोगों का खतरा भी कम हो जाता है

दिसंबर में आम के बाग में न करें ये गलतियां

डॉ एस. के. सिंह ने बताया कि दिसंबर के महीने में पेड़ों को 'तनाव' देना जरूरी होता है ताकि उनमें अच्छे बौर आ सकें. इसलिए, इस महीने में सिंचाई पूरी तरह बंद रखनी चाहिए. अगर इस समय सिंचाई की गई, तो पेड़ में फूल आने के बजाय नई पत्तियां निकलने लगेंगी, जिससे पैदावार घट जाएगी. इसी तरह, दिसंबर में यूरिया का प्रयोग बिल्कुल न करें. बौर निकलने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए आप 1% पोटेशियम नाइट्रेट का छिड़काव कर सकते हैं, जो फूलों को झड़ने से भी रोकता है.

बीमारियों से सुरक्षा और पक्का इलाज

आम में 'गमोसिस' यानी गोंद निकलना और 'पाउडरी मिल्ड्यू' जैसी बीमारियां फसल को नुकसान पहुंचाती हैं. गमोसिस के लिए प्रभावित हिस्से को साफ करके बोर्डो पेस्ट लगाएं. वहीं, फूलों को सफेद पाउडर वाली बीमारी से बचाने के लिए घुलनशील सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करें. यदि जनवरी में समय से पहले बौर निकल आएं, तो उन्हें तोड़ देना चाहिए ताकि 'गुम्मा रोग' के खतरे को कम किया जा सके. इन छोटे-छोटे वैज्ञानिक उपायों को अपनाकर कम खर्च में आम की बंपर उपज ले सकते हैं.

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