
इन दिनों पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों तक दिखाई दे रहा है. कई जिले समेत कई जगहों पर कड़ाके की सर्दी, कोहरा और पाले की वजह से गेहूं, चना, मटर और सरसों जैसी फसलों को नुकसान का खतरा बढ़ गया है. पाला पड़ने से पौधे मुरझा जाते हैं और उनकी बढ़त रुक जाती है. लेकिन अगर किसान भाई समय पर कुछ आसान उपाय कर लें, तो फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है.
सर्दी की रातों में जब तापमान बहुत ज्यादा गिर जाता है, तब खेतों में पाला पड़ता है. पाले से पौधों की पत्तियों पर बर्फ जैसी परत जम जाती है. इससे पौधों की कोशिकाएं खराब हो जाती हैं और फसल सूखने लगती है. इसलिए पाले से बचाव बहुत जरूरी होता है.
कृषि विभाग के अनुसार, पाले से बचाव का सबसे आसान तरीका है हल्की सिंचाई. किसान भाई अपनी फसलों में ताजा पानी से हल्की-हल्की सिंचाई करें. इससे खेत का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है और पाले का असर कम हो जाता है. ध्यान रखें कि ज्यादा पानी न भरें, बस मिट्टी नम होनी चाहिए.
अगर आपके पास धान की पराली (फसल के बचे हुए डंठल) हैं, तो उनका सही इस्तेमाल करें. किसान खेत के चारों ओर पराली की बाड़ बना सकते हैं. चाहें तो खेत में थोड़ी-थोड़ी पराली बिछा भी सकते हैं. इससे खेत में गर्मी बनी रहती है और फसल को ठंड से बचाव मिलता है.
सर्दियों में जूट का बोरा और ग्रीन नेट फसल की सुरक्षा में बहुत काम आते हैं. छोटे पौधों को जूट के बोरे से ढकने पर ठंडी हवा और पाले का असर कम होता है. इसी तरह ग्रीन नेट लगाने से भी तापमान संतुलित रहता है और पौधे सुरक्षित रहते हैं.
पाले से बचाव के लिए राख भी बहुत उपयोगी है. किसान फसल के पास हल्की मात्रा में राख डाल सकते हैं. राख से मिट्टी में गर्मी बनी रहती है और पाले का असर कम हो जाता है. यह तरीका सस्ता, आसान और असरदार है.
कृषि विभाग लगातार किसानों के लिए सलाह जारी कर रहा है. अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं. फिर भी अगर किसी किसान भाई को कोई परेशानी हो, तो वे अपने नजदीकी कृषि रक्षा इकाई केंद्र पर जाकर मदद ले सकते हैं.
थोड़ी सी सावधानी और समय पर किए गए उपाय से फसलों को पाले और कड़ाके की सर्दी से बचाया जा सकता है. हल्की सिंचाई, पराली, जूट का बोरा, ग्रीन नेट और राख जैसे आसान उपाय अपनाकर किसान अपनी मेहनत की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.
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