
उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में गन्ने की कटाई शुरु हो गई है. इस बीच पीलीभीत जिले से एक अनोखी खबर आई है, जहां टाइगर रिजर्व की माला रेंज के पास के गांवों में रहने वाले किसानों ने गन्ने की कटाई के दौरान बाघों को अपने खेतों से दूर रखने का एक बेहद ही खास तरीका निकाला है. ये तरीका है सोलर-पावर्ड साउंड सिस्टम पर तेज म्यूजिक बजाना. दरअसल, किसानों के अनुसार, लगातार साउंड सिस्टम से निकलने वाली आवाज यानी शोर जंगली जानवरों को उनके खेतों में आने से रोकने में मदद करता है.
बता दें कि गन्ने के खेत घने होते हैं और विज़िबिलिटी कम होती है, इसलिए कटाई के मौसम में बाघों से अचानक सामना होने का खतरा ज्यादा रहता है. वन विभाग के अधिकारियों ने इस पहल को एक "देसी जुगाड़" बताया है, जो न सिर्फ़ सुरक्षा बढ़ाता है बल्कि मनोरंजन भी करता है, क्योंकि काम के समय खेतों में तेज म्यूजिक गूंजता रहता है. साथ ही यह तरीका इंसान-जानवर के बीच टकराव को रोकने का एक अनोखा तरीका बनकर उभरा है.
रामनगरिया, अजीतपुर, जमुनिया, महुआ, माला घेरा, रिचोला और बसंतपुर उन गांवों में से हैं, जो माला रेंज के पास हैं और जहां अक्सर बाघों की आवाजाही देखी जाती है, जिससे वहां के किसान डरे रहते हैं. हाल ही में महुआ के एक खेत में बाघ के ताज़े पैरों के निशान मिले थे.
वन अधिकारियों के अनुसार, जमुनिया गांव के कृष्ण कुमार और उनके साथियों ने इस खतरे से निपटने के लिए "म्यूज़िकल" तरीका शुरू किया है. कृष्ण कुमार ने कहा कि घने गन्ने के खेतों में काम करना जोखिम भरा है. हमारा मानना है कि शोर की वजह से जंगली जानवर दूर चले जाते हैं, इसलिए ज़ोर से गाने बजाने से वे दूर रहते हैं.
गांव वालों ने बताया कि यह तरीका असरदार साबित हो रहा है, जिससे किसान बिना किसी डर के ग्रुप में खेती का काम कर पा रहे हैं. गौरीशंकर, टिंकू, राम बहादुर, राकेश कुमार, प्रभु दयाल और ललाराम सहित कई किसान इस नए तरीके को लागू करने में कुमार के साथ शामिल हो गए हैं.
डिप्टी रेंजर शेर सिंह ने कहा कि वन विभाग भी गांव वालों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए लगातार कोशिशें कर रहा है. उन्होंने बताया कि विभाग किसानों को जंगली जानवरों से खुद को बचाने के सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीकों के बारे में बताने के लिए मीटिंग कर रहा है. (PTI)