Crop Advisory: पूसा की किसानों को फसल सलाह, गेहूं की पहली सिंचाई, उर्वरक और रोग प्रबंधन पर जोर

Crop Advisory: पूसा की किसानों को फसल सलाह, गेहूं की पहली सिंचाई, उर्वरक और रोग प्रबंधन पर जोर

पूसा, नई दिल्ली ने गेहूं, सरसों, आलू, सब्जियों और बागवानी फसलों के लिए सिंचाई, उर्वरक और कीट-रोग नियंत्रण को लेकर एडवाइजरी जारी की.

गेहूं की खेतीगेहूं की खेती
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 18, 2025,
  • Updated Dec 18, 2025, 1:37 PM IST

पूसा, नई दिल्ली ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि जिन किसानों की गेहूं की फसल 21-25 दिन की हो गई हो, वे अगले पांच दिनों तक मौसम शुष्क रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए पहली सिंचाई करें. सिंचाई के 3-4 दिन बाद उर्वरक की दूसरी मात्रा डालें.

जिन किसानों ने गेहूं की अगेती बुआई (25 अक्तूबर से 5 नवंबर) की है, वे समय पर (30-35 दिन) खरपतवार प्रबंधन और पहली सिंचाई (21-25 दिन) जरूर कर दें. साथ ही, किसी भी प्रकार के कीट या रोग के लक्षणों की पहचान के लिए खेत की नियमित निगरानी करते रहें. 5 नवंबर के बाद बोई गई गेहूं के लिए, पहली सिंचाई (21-25 दिन) की व्यवस्था करें. साथ ही पानी समुचित मात्र में लगाएं. गेहूं की फसल में पहली सिंचाई बहुत जरूर है. इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की कोताही न बरतें.

गेहूं पर रतुआ का प्रकोप

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे धारीदार रतुआ (पीला रतुआ) और भूरा रतुआ का जल्द पता लगाने के लिए अपनी गेहूं की फसल का नियमित निरीक्षण करें. यदि रतुआ के लक्षणों का संदेह हो, तो पहले पुष्टि सुनिश्चित कर लें, क्योंकि खेत में शुरुआती पीलापन कभी-कभी पीला रतुआ समझ लिया जाता है. उचित निदान के लिए, किसान नजदीकी कृषि विभाग/कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें.

देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण का काम करें. औसत तापमान में कमी को देखते हुए हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें. इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद और पोटास उर्वरक का प्रयोग जरूर करें.

आलू में मिट्टी चढ़ाने का काम

आलू की फसल में उर्वरक की मात्रा डालें और फसल में मिट्टी चढ़ाने का काम करें. हवा में अधिक नमी के कारण आलू और टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है. इसलिए फसल की नियमित रूप से निगरानी करें. लक्ष्ण दिखाई देने पर डाईथेन एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बंदगोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई कर सकते हैं. गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें. यदि संख्या अधिक हो तो बीटी @ 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पेनोसेड दवा @ 1.0 एम.एल./3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

सब्जियों की निराई-गुड़ाई

इस मौसम में किसान सब्जियों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करें, सब्जियों की फसल में सिंचाई करें और उसके बाद उर्वरकों का बुरकाव करें. इस मौसम में मिलीबग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेंगे, इसको रोकने के लिए किसान जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 से.मी. चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटें. तने के आस-पास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जाएंगे.

हवा में नमी के अधिक रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे अपनी गेंदे की फसल में पुष्प सइन रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें.

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