इंसान ही नहीं, फसलों को भी चढ़ाते हैं ग्लूकोज, पाले से मिलती है सुरक्षा

इंसान ही नहीं, फसलों को भी चढ़ाते हैं ग्लूकोज, पाले से मिलती है सुरक्षा

इस मौसम में पाले के कारण फसलों को भारी नुकसान हो सकता है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. खासकर, रबी फसल जैसे गेहूं, मटर, सरसों और चना. इन फसलों पर पाले का असर सबसे अधिक होता है. ऐसे में इंसान की तरह ही फसलों को बचाने के लिए ग्लूकोज छिड़कने की सलाह दी जाती है.

फसलों को भी चढ़ाएं ग्लूकोजफसलों को भी चढ़ाएं ग्लूकोज
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Jan 09, 2025,
  • Updated Jan 09, 2025, 1:50 PM IST

इंसान जब कमजोर होता है तो उसे ग्लूकोज चढ़ाना पड़ता है. ऐसा ही हाल फसलों का भी है. जी हां, सही सुना आपने, फसलों पर ग्लूकोज चढ़ाने यानी डालने से फसलों पर पाले का असर नहीं होता है. दरअसल, जनवरी महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने के आते ही फसलों पर पाले का खतरा मंडराने लगता है क्योंकि इस समय सर्दी अपनी चरम सीमा पर होती है. उस वक्त किसान को भी अपनी फसलों को बचाने की चिंता सताने लगती है. पाला किसी प्रकार का रोग न होते हुए भी अलग-अलग फसलों और सब्जियों पर काफी प्रभाव डालता है. ऐसे में फसलों को पाले से बचाने के लिए ग्लूकोज के साथ ही अन्य चीजों का छिड़काव करना चाहिए.  

ऐसे फसलों को चढ़ाएं ग्लूकोज

रबी फसलों पर ग्लूकोज का छिड़काव करने से पौधों की कोशिकाओं में घुलनशील पदार्थ की मात्रा में वृद्धि हो जाती है. इससे तापमान कम होने पर भी कोशिकाओं पर पाले का प्रभाव नहीं पड़ता, जिससे फसल पाले के प्रकोप से बच जाती है. ऐसे में खेतों ग्लूकोज का छिड़काव करने के लिए एक किलो ग्लूकोज को प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में मिलाकर फसलों में फूल आने की अवस्था में छिड़काव करना चाहिए. वहीं, आगे जरूरत पड़ने पर 10-15 दिनों बाद इसका दोबारा छिड़काव किया जा सकता है.

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गंधक के तेजाब का छिड़काव

जब फसल में पाला पड़ने की आशंका हो, तो पाले वाले दिनों में फसल पर गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत (10 मि.ली.) रसायन 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें, जिससे पौधे पूरी तरह से भीग जाएं. पाले से बचाव के अतिरिक्त इसमें पौधों में रोग से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है और फसल तेजी से पकता है. इसके इस्तेमाल से गेहूं, चना, सरसों, आलू और मटर जैसी फसलों को पाले से बचाया जा सकता है. इस प्रकार तेजाब के स्प्रे से फसल के आसपास के वातावरण में तापमान बढ़ जाता है और फसल नुकसान होने से से बच जाता है.  

डाई मिथाइल सल्फो-ऑक्साइड

ठंड के दिनो में डाई मिथाइल सल्फो-ऑक्साइड पौधों से पानी को बाहर निकालने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है, जिससे कोशिकाओं में पानी नहीं जमता है. इसके उपयोग से फसलें फटती नहीं हैं. साथ ही पौधा भी नहीं सूखता है. ऐसे में पाले की आशंका होने पर 75-100 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करना चाहिए. यदि जरूरत पड़े तो 10-15 दिनों बाद एक और छिड़काव करें और सावधानियां बरतें.

साइकोसिल का करें छिड़काव

साइकोसिल के छिड़काव से फसलों में पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है. इसके लिए फसलों और सब्जियों में फूल आने की अवस्था पर 0.03 प्रतिशत साइकोसिल रसायन का छिड़काव करना चाहिए. इस प्रकार फसल, नर्सरी और छोटे फल वृक्षों को पाले से होने वाले नुकसान से बहुत ही आसान और कम खर्चीले तरीकों द्वारा बचा सकते हैं. 

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