मौजूदा मौसम को देखते हुए आईएआरआई, पूसा ने किसानों के लिए फसल संबंधी एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि पिछले दिनों में हुई बारिश को देखते हुए सभी खड़ी फसलों में सिचाई और किसी भी तरह का छिड़काव ना करें. देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण का काम करें. औसत तापमान में कमी को देखते हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें.
एडवाइजरी में कहा गया है, इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से सड़ी हूई गोबर की खाद और पोटास उर्वरक का प्रयोग जरूर करें. आलू की फसल में उर्वरक की मात्रा डालें और फसल में मिट्टी चढ़ाने का काम करें. हवा में अधिक नमी के कारण आलू और टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है. इसलिए फसल की नियमित रूप से निगरानी करें. लक्षण दिखाई देने पर डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.
जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बंदगोभी और ब्रोकली की नर्सरी तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई कर सकते हैं. गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें. यदि कीटों की संख्या अधिक हो तो बी.टी.@ 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पेनोसेड दवा @ 1.0 एमएल/3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें.
इस मौसम में मिलीबग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेंगे, इसको रोकने के लिए किसान जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 सेमी चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटें. तने के आस-पास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जाएंगे. सापेक्षिक आर्द्रता के अधिक रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे अपनी गेंदे की फसल में पूष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें.
देर से बोई गई सरसों की फसल में खरपतवार निकालने और निराई करने की सलाह दी जाती है. यदि लंबे दिनों तक कम तापमान जारी रहता है, तो सफेद रतुआ का संक्रमण शुरू हो सकता है. इसलिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सफेद रतुआ की मौजूदगी जानने के लिए पत्तियों पर नजर रखें. एनसीआर में रहने वाले किसानों ने पिछले दिनों में ओलावृष्टि के कारण जल्दी बोई गई सरसों की फसलों को नुकसान होने की सूचना दी है. इस नुकसान से बचने के लिए किसान जरूरी कदम उठाएं.
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