धान की फसल को बर्बाद कर सकते हैं ये 3 कीट और रोग, बचाव के आज ही जान लें उपाय

धान की फसल को बर्बाद कर सकते हैं ये 3 कीट और रोग, बचाव के आज ही जान लें उपाय

धान की फसल में कीट और रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है. इस कीट के आक्रमण को देखते हुए किसान अपनी फसलों को बचाने में के उपाय ढूंढ़ रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर इन कीट और रोगों से बचाव के उपाय क्या है.

धान की फसल मे कीट और रोगधान की फसल मे कीट और रोग
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Aug 04, 2025,
  • Updated Aug 04, 2025, 1:46 PM IST

देश के लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई पूरी हो चुकी है. वहीं, धान की रोपाई किए लगभग एक महीना पूरा हो चुका है. लेकिन अब लगातार बदलते मौसम के बीच धान की फसल में कीट और रोग लगने का खतरा बढ़ने लगा है. ऐसे में किसान इसकी बचाव के लिए तैयारी में जुट गए हैं, जिससे उनकी धान की पैदावार प्रभावित न हो. दरअसल, धान की रोपाई के कुछ दिनों बाद फसलों में शीथ ब्लाईट,  शीथ रॉट और पत्र लपेटक कीट और रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है. ये बीमारियां धान की फसल को काफी प्रभावित करती हैं. इनकी चपेट में आने से पौधे की ग्रोथ रुक जाती है और पैदावार पर भी असर दिखता है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इन कीट और रोगों के लक्षण और कैसे करें बचाव.

शीथ ब्लाईट रोग के लक्षण

यह रोग मिट्टी जनित होता है, जो खेतों में अधिक जल जमाव के कारण धान की फसल में लगते हैं. अधिक प्रकोप की स्थिति में रोग सबसे ऊपर की पत्ती तक पहुंच जाते हैं. वहीं, इस रोग के लगने पर पत्ते सूखने लगते हैं. साथ ही ये रोग अगर बालियां आने पर लगते हैं तो बालियों में दाने भी नहीं आते हैं. इस रोग के लक्षण शुरू में मेंड़ों के आसपास और खेतों में उन जगहों पर पाए जाते हैं, जहां खरपतवार के साथ जलजमाव की स्थिति होती है.  

शीथ ब्लाईट रोग से बचाव

शीथ ब्लाईट रोग लगने पर खेत में जल निकासी का उत्तम प्रबंध करें, क्योंकि ये अगस्त के महीने में अधिक बारिश की वजह से तेजी से फैलते हैं. वहीं, इस रोग के लगने पर फसल में कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत, घुलनशील चूर्ण का 1 ग्राम या वैलिड माइसीन 3 प्रतिशत या प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.

शीथ रॉट रोग के लक्षण

शीथ रॉट रोग लगने पर पत्ते में भूरे-भूरे या लाल-भूरे रंग के धब्बे दिखने शुरू हो जाते हैं. ये धब्बे धीरे-धीरे बड़े होते हैं जिससे फसल काफी प्रभावित होता है और सड़न शुरू हो जाता है. इसके अलावा ये रोग अगर तीन महीने बाद लगे तो दाने के अंकुरण को धीमा कर देता है. वहीं, अनाज की उपज को कम करता है.

शीथ रॉट रोग से बचाव

इस रोग के लगने पर खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें. साथ ही धान की फसल में कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण प्रति 5 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें. इससे आपकी फसल को नुकसान नहीं होगा और ये रोग फसलों पर नहीं दिखेंगे.

पत्र लपेटक कीट के लक्षण

भारी बारिश की वजह से धान की फसल में पत्र लपेटक कीट लगने लगे हैं. पत्र लपेटक कीट को पत्ती लपेटक कीट भी कहा जाता है, ये कीट पत्तियों का बचा-खुचा रस चूस जाते हैं और फसल को बर्बाद कर देते हैं. वहीं, इस रोग के लगने पर पत्तियों का मुड़ना और लपेटना, पत्तियों पर सफेद या भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं.  

पत्र लपेटक कीट से बचाव

धान की फसल में पत्र लपेटक कीट लगने पर फसल की सिंचाई न करें. इसके अलावा पत्तियों को हिलाकर या 10 मीटर लंबी रस्सी को खेत में घुमाकर कीटों को गिराया जा सकता है. साथ ही इस कीट के लगने पर कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी दानेदार 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करें.

MORE NEWS

Read more!