झारखंड में इस साल मौसम का मिजाज बदला हुआ नजर आ रहा है. पिछले साल के मुकाबले इस साल समय समय पर रुक रुक कर बारिश हो रही है. इससे खेतों में नमी बनी हुई है. इसके अलावा मौसम विभाग की तरफ से मौसम को लेकर येलो अलर्ट भी जारी किया है. ऐसे में मौसम के कारण किसानों को नुकसान नहीं हो इसके लिए मोसम विभाग की तरफ से किसानों के लिए सलाह जारी किया गया. इस सप्ताह के लिए जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि इस बारिश का लाभ उठाते हुए किसाम ग्रीष्माकालीन सब्जियों जैसे खीरा, कद्दू, रिज, लौकी और तरबूज की बुवाई शुरू कर सकते हैं. दिन के तापमान में आजकल वृद्धि देखी जा रही है यह इन पौधों के लिए फायदेमंद होगा.
इसके साथ ही कहा गया है कि तापमान में वृद्धि होने के कारण खेतों में नमी पर विशेष ध्यान दें, खास कर उन पौधों में जहां सब्जियों और फसलों में फूल निकल रहे हैं. आने वाले दिनों में बारिश का अनुमान है, इसलिए खेतों में सिंचाई नहीं करें और किसी भी तरह का छिड़काव नहीं करें. ऐसे मौसम में गेहूं की फसल में रोगों का प्रकोप हो सकता है. खास कर रतुआ रोग का संक्रमण होने की संभावना रहती है. इसलिए लगातार खेतों की निगरानी करते रहें. अगर फसल में इस रोग का सक्रमण दिखाए दे तो डाइथेन एम 45 का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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इस समय मौसम में लगातार नमी देखी जा रही है. ऐसे मौसम में दलहनी फसलों में एन्थ्रेक्नोज और सर्कोप्सेरा लीफ स्पॉट के संक्रमण की संभावना होती है. इसके प्रबंधन के लिए मेटालैक्सिल 8 प्रतिशत और मैंकोजेब 64 डब्ल्यू पी का 400 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें. सरसों की फसल में इस वक्त फली तैयार हो रही है. अच्छी फसल हासिल करने के लिए 10 दिन के अंतराल में खेत में दो बार यूरिया के घोल का छिड़काव करें. इससे सरसों की फसल की उपज बढ़ जाएगी. इसके अलावा इस समय आम के पेड़ों में मंजर आ गए हैं. इसके मंजर को झड़ने से बचाने के लिए किसान एनएए (25पीपीएम) या गिब्बेरेलिक एसिड (25पीपीएम) का पेड़ों पर छिड़काव करें.
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वहीं सब्जी की खेती को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि टमाटर और बैंगन की फसल में मिट्टी जनित रोगों जैसे अंकुर गलन और तना गलन के रोग से बचाव के लिए मुख्य तने के चारों ओर प्रति लीटर पानी में तीन ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड मिलाकर डालें. वर्तमान मौसम की स्थिति में टमाटर में पछेती झुलसा रोग का प्रकोप हो सकता है. इससे बचाव के लिए मेटालैक्सिल 8 प्रतिशत और मैंकोजेब 64 डब्ल्यू पी का 400 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें.प्याज की खेती में अच्छी पैदावार और बल्ब के अच्छे विकास के लिए 60 दिनों के बाद लगातार नमी बनाए रखें.