उत्तर प्रदेश में गन्ने का उत्पादन बढ़ने से किसानों की आमदनी बढ़ी है तो वहीं गन्ने की पौध से महिला समूह को अब प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की आय हो रही है. प्रदेश में गन्ना विभाग से जुड़कर महिला समूह के माध्यम से महिलाएं पौध का उत्पादन कर रही हैं. गन्ने की एक पौध किसानों को ₹3 में दी जाती है जबकि सरकार के द्वारा महिलाओं को प्रत्येक पौधों पर 1.30 रुपये का अनुदान भी दिया जाता है. मुजफ्फरनगर जनपद में गन्ने की पौध के माध्यम से 3661 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. शरद ऋतु में 23.51 लाख पौध को महिलाओं के द्वारा तैयार किया गया है.
मुजफ्फरनगर में महिलाओं के 147 समूह का गठन किया गया है जो गन्ने के पौध का उत्पादन कर रही हैं. ये महिलाएं अब सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त भी हुई है.
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केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के प्रयास में लगी हुई है. गन्ना विभाग के द्वारा हर जिले में महिला समूह का गठन किया गया है जो गन्ने की पौध का उत्पादन कर रही है. जिले में महिलाएं दो बार गन्ने की पौधों को तैयार करती है फिर इन पौध को किसानों को बेंच दी जाती है. गन्ना विभाग एक पौध को तैयार करने पर ₹1.30 पैसा समूह की महिलाओं को अनुदान के रूप में देता है. पौध को महिलाओं के द्वारा तीन रुपए में बेचा जाता है. पौध लगाने से न सिर्फ गन्ने का उत्पादन बढ़ रहा है बल्कि महिलाओं की आमदनी भी बढ़ रही है. 1 वर्ष में मुजफ्फरनगर जनपद में 80 लाख गन्ने की पौध महिला समूह के द्वारा तैयार किया गया है. महिला समूह से जुड़ी हुई सोनिया चौहान कहती है कि पहले वह घर पर कार्य करती थी लेकिन गन्ने की पौध को तैयार करके अब उन्हें अतिरिक्त आय मिल रही है.
2022-23 में मुजफ्फरनगर जिले में महिला समूह को गन्ना विभाग के द्वारा 32 लाख रुपए का अनुदान दिया गया. जिले में महिलाओं के द्वारा 80 लाख के लगभग गन्ने की पौध तैयार की गई. जिला गन्ना अधिकारी संजय सिसोदिया का कहना है कि गन्ने की बहुत सी महिलाओं को रोजगार और अतिरिक्त आमदनी दोनों मिल रही है. इससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है. महिलाओं के लिए स्वावलंबी बनने का अच्छा माध्यम है.
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