बिहार, झारखंड और ओडिशा के किसान ध्यान दें, इस महीने फसलों पर इन खाद-दवाओं का छिड़काव जरूरी

बिहार, झारखंड और ओडिशा के किसान ध्यान दें, इस महीने फसलों पर इन खाद-दवाओं का छिड़काव जरूरी

बिहार के किसान गन्ना बोने के लिए भूमि की तैयारी करें. गन्ने की स्वस्थ पैदावार के लिए, भूमि की तैयारी के दौरान 15-20 टन एफवाईएम डालें. अरहर की फसल में फली छेदक कीटों के संक्रमण की निगरानी करें, जो फूल या फलियां बनने की अवस्था में हो. यदि संक्रमण दिखाई दे, तो कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड @ 1.5 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें.

आईएमडी ने जारी की फसल एडवाइजरीआईएमडी ने जारी की फसल एडवाइजरी
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 11, 2025,
  • Updated Feb 11, 2025, 2:40 PM IST

भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने एग्रोमेट एडवाइजरी में अलग-अलग राज्यों के किसानों को फसल सलाह दी है. आईएमडी ने कहा है कि अभी मौसम शुष्क बना रहेगा. इसलिए फसलों और मिट्टी में नमी पर ध्यान रखना जरूरी है. मौसम विभाग ने किसानों को फसल एडवाइजरी में कई जरूरी बातें बताई हैं जिन्हें जान लेना जरूरी है. आइए बिहार, झारखंड और ओडिशा के किसानों को दी गई सलाह के बारे में यहां जान लेते हैं.

बिहार

उत्तर पूर्वी जलोढ़ क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन सब्जियों जैसे कद्दू, लौकी, खीरा, करेला आदि की पौध नर्सरी के लिए पॉली टनल में 1 मीटर चौड़ाई और 10 मीटर लंबाई की क्यारियां बनाकर तैयार करें. बुवाई से पहले मिट्टी को कार्बेंडाजिम+मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर उपचारित करें.

उत्तर पश्चिमी जलोढ़ मैदानी क्षेत्र में, शुष्क मौसम को देखते हुए खड़ी फसलों में खरपतवार निकालना शुरू करें.

गन्ना बोने के लिए भूमि की तैयारी करें. गन्ने की स्वस्थ पैदावार के लिए, भूमि की तैयारी के दौरान 15-20 टन एफवाईएम डालें. अरहर की फसल में फली छेदक कीटों के संक्रमण की निगरानी करें, जो फूल या फलियां बनने की अवस्था में हो. यदि संक्रमण दिखाई दे, तो कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड @ 1.5 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें.

दक्षिण बिहार में देर से बोई गई गेहूं की फसल में निराई-गुड़ाई करें. यदि फसल में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई दें (गेहूं के पौधों का रंग हल्का पीला हो जाना) तो 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 1.25 किलोग्राम बुझा हुआ चूना और 12.5 किलोग्राम यूरिया को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर 15 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें. 

देर से बोई गई सरसों की फसल में एफिड्स की निगरानी करें. इस कीट से फसल को बचाने के लिए डायमेथोएट 30 ईसी @ 1 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.

झारखंड

झारखंड के पश्चिमी पठारी क्षेत्र में मौजूदा मौसम की स्थिति के कारण सरसों की फसल में एफिड का प्रकोप हो सकता है. यदि प्रकोप शुरुआती अवस्था में है, तो पौधे के प्रभावित भागों को काटकर नष्ट कर दें. यदि प्रकोप बढ़ता है, तो इमिडाक्लोप्रिड 3 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें. 65 से 75 दिन की गेहूं की फसल अपनी इंटरनोड अवस्था (तने में गांठ बनने की अवस्था) में है, तो फसल की बेहतर उपज के लिए यदि संभव हो तो इस अवस्था में सिंचाई करें.

ओडिशा

अलग-अलग इलाकों में कोहरे को देखते हुए आलू, टमाटर और प्याज की फसलों में शुरुआती या देर से होने वाले झुलसा रोग, सरसों में सफेद रतुआ जैसे कीटों और रोगों के प्रकोप और उसे फैलने से रोकने के लिए खड़ी फसलों की निगरानी करें. यदि लक्षण दिखाई दें, तो इसके बचाव के उपाय अपनाएं.

पश्चिमी लहरदार क्षेत्र में, जल्दी बोई जाने वाली फसलें जैसे कि हरा चना, काला चना, मूंगफली, मटर, मक्का आदि फूल आने की अवस्था में हैं. इस अवस्था में नमी की कमी होने से बचने के लिए फसल में सिंचाई करें.

सब्जियों जैसे कि बैंगन, फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर आदि में बोरर कीट की निगरानी के लिए 8/एकड़ की दर से फेरोमोन ट्रैप लगाएं. कीटों की आबादी को रोकने के लिए चना, हरा चना, मूंगफली और सब्जियों की फसल के खेतों में और उसके आसपास “T” आकार के पक्षी बसेरा लगाएं.

पूर्वी और दक्षिण पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र में 3-5 सप्ताह पुराने पौधों की रोपाई पूरी करें. सफेद मक्खी, एफिड्स, जैसिड्स जैसे चूसने वाले कीटों की निगरानी के लिए 8/एकड़ की दर से पीला चिपचिपा जाल लगाएं और बढ़वार अवस्था में सब्जियों में थ्रिप्स के लिए नीला चिपचिपा जाल लगाएं.

उत्तर पूर्वी घाट क्षेत्र में मक्का, मूंगफली, मूंग, चना और सब्जियों जैसी खड़ी फसलों में खरपतवारों से फसल को बचाने के लिए निराई-गुड़ाई करें.

उत्तर मध्य पठारी क्षेत्र में टमाटर और मिर्च की कटाई करें. फसलों में हल्की सिंचाई करें. मटर में फली छेदक कीट फूल और फली में छेद करके फलों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. इससे बचाव के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 4% एसजी @5 ग्राम/10 लीटर या क्लोरपाइरीफॉस @1 मिली/लीटर का छिड़काव करें.

 

MORE NEWS

Read more!