पंजाब के तरन तारण जिले में किसान खाद और बीज के लिए बुरी तरह से जूझ रहे हैं. यहां के किसान मक्के की खेती करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए खाद और बीज नहीं मिल पा रहे हैं. पंजाब में पानी की कमी को देखते हुए किसानों को मक्का जैसी कम पानी वाली फसलें लगाने की सलाह दी जा रही है. दूसरी ओर किसानों की शिकायत है कि उन्हें खेती के लिए खाद और बीज नहीं मिल पा रहे हैं.
किसानों का कहना है कि अभी मक्के की बुवाई का सीजन चल रहा है. इसके लिए बीज के साथ-साथ डीएपी खाद की भी जरूरत है. हालांकि उन्हें न बीज मिल पा रहा है, और न ही डीएपी खाद. ऐसे में वे मक्के की बुवाई शुरू नहीं कर सके हैं.
इस जिले के कासेल गांव के किसान कुलबीर सिंह ने 'दि ट्रिब्यून'को बताया कि बुवाई के लिए परिस्थितियां बिल्कुल अच्छी हैं, लेकिन जरूरी संसाधनों की कमी है. किसान कीर्ति यूनियन के जिला अध्यक्ष नछत्तर सिंह पन्नू और महासचिव सतपाल सिंह नाथोके ने बताया कि जिले में करीब 2500 किसान 4000 एकड़ जमीन पर मक्का की खेती करते हैं.
किसान कुलबीर सिंह ने कहा, मक्का न केवल अनाज फसल के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि पशुओं के लिए चारे का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है. किसान खास तौर पर मक्का के बीज की बढ़ती कीमत को लेकर चिंतित हैं. चार किलोग्राम का पैकेट, जो कभी 2,000 रुपये में मिलता था, अब 3,000 रुपये में बिक रहा है. इस बढ़ोतरी ने प्रति एकड़ 2,000 रुपये का अतिरिक्त बोझ डाला है, क्योंकि एक एकड़ मक्का बोने के लिए दो पैकेट की जरूरत होती है.
तरन तारण के कृषि विकास अधिकारी मलकियत सिंह ने मक्का बीज और डीएपी खाद की कमी को मानते हुए कहा कि वह इस समस्या को संबंधित अधिकारियों के सामने उठाएंगे. उन्होंने उम्मीद जताई की यह परेशानी जल्द दूर हो सकती है.
किसान नेता पन्नू और नाथोके ने कहा कि पायनियर-1899, मक्का की एक किस्म जो अपनी उच्च उपज के लिए जानी जाती है. यह किस्म स्थानीय किसानों की पसंदीदा वैरायटी है. हालांकि, यह बीज एक निजी कंपनी बनाती है जिसने जानबूझकर इसकी कमी पैदा की है, जिससे किसान मुश्किल में हैं. चल रहे संकट के बावजूद, उनका मानना है कि राज्य सरकार कमी के लिए जिम्मेदार कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रही है.
इन नेताओं ने बीज की कमी को तत्काल दूर करने की अपील की और इस बात पर बल दिया कि कई किसान पहले से ही तंगी की हालत से जूझ रहे हैं. उन पर महंगे बीज का बोझ बढ़ा तो वे और भी अधिक परेशान हो जाएंगे.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today