Natural Farming in UP : क्लस्टर मॉडल बना जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का हथि‍यार

Natural Farming in UP : क्लस्टर मॉडल बना जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का हथि‍यार

यूपी में किसानों की आय बढ़ाने के लिए रासायनिक खेती के बजाय रसायन मुक्त खेती के पारंपरिक तरीकों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए जैविक खेती के समानांतर बेहद कम लागत वाली प्राकृतिक खेती को मुनाफे का सौदा साबित करने के लिए योगी सरकार ने क्लस्टर माॅडल को कारगर टूल बनाया है.

यूपी में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के प्रश‍िक्षण पर सरकार का जोर, फोटो: किसान तक यूपी में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के प्रश‍िक्षण पर सरकार का जोर, फोटो: किसान तक
न‍िर्मल यादव
  • Lucknow,
  • May 02, 2023,
  • Updated May 02, 2023, 2:59 PM IST

किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार कृष‍ि लागत को लगातार कम करने के प्रयास कर रही है. इसके लिए जैविक खेती और जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती को कारगर हथियार बनाने की रणनीति को आगे बढ़ाया गया है. इस मकसद की पूर्ति के लिए यूपी में छोटे छोटे क्लस्टर बनाकर जैविक खेती करने के सफल प्रयोग को अब प्राकृतिक खेती पर भी लागू किया जा रहा है. इसमें प्रदेश के विभिन्न इलाकों में 50 - 50 हेक्टेयर के क्लस्टर बनाकर किसानों को जैविक पद्धति से खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. पिछले छह सालों में जैविक खेती के उत्साहजनक परिणाम मिलने के बाद यूपी में अब प्राकृतिक खेती काे भी क्लस्टर आधारित मॉडल पर प्रोत्साहित किया जा रहा है.

जैविक खेती और प्राकृतिक खेती में अंतर

रासायनिक खाद, कीटनाशक और हाइब्रिड बीज के बजाए जैविक तत्वों से बने उर्वरकों, दवा, बूस्टर और देसी बीजों से होने वाली खेती को जैविक पद्धति के दायरे में रखा जाता है. खेती की इस पद्धति में रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल पूरी तरह से निषिद्ध होता है. इसमें खाद, बूस्टर और कीटनाशक आदि दवाएं फल, सब्जी, पत्तों, मट्ठा, गुण और कंद मूल आदि से बनाए जाते हैं. जैविक खेती में इस्तेमाल होने वाली इस दवाओं को तमाम बड़ी कंपनियां बनाती हैं. इन्हें खुले बाजार से या सरकारी सब्सिडी पर भी खरीदा जा सकता है. जैविक खेती के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से मानक निर्धारित हैं. इनका पालन करते हुए किसान जैविक खेती करते हैं.

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इससे इतर प्राकृतिक खेती पूरी तरह से गौ आधारित एवं प्रकृति से सीधे तौर पर मिलने वाले पदार्थों की मदद से की जाती है. प्राकृतिक खेती, पशुपालन और बागवानी आधारित समग्र कृष‍ि मॉडल है. इसमें खेती के अवयव बाजार के बजाय किसान को उसके फार्म से ही मिलते हैं. मसलन कीटनाशक बनाने के लिए किसान गोबर, गोमूत्र, मट्ठा, नीम की पत्ती, तंबाकू, धतूरा आदि के मिश्रण का इस्तेमाल करते हैं. इसी प्रकार मिट्टी और फसल के पोषण के लिए भी गोबर, केंचुआ, पत्ती, भेड़, बकरी की लीद एवं कुक्कुट बीट आदि की खाद का इस्तेमाल होता है. इसलिए प्राकृतिक खेती में फल एवं सब्जियों का बाग लगाना और पशु पालन करना जरूरी है. इससे प्राकृतिक खेती की लागत लगभग शून्य हो जाती है. इसलिए इसे 'जीरो बजट फार्मिंग' भी कहा जाता है.

यूपी सरकार ने खेती की लागत कम करके किसानों का मुनाफा बढ़ाने के लिए जैविक खेती और गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को मुख्य हथियार के रूप में अपनाया है. इसके लिए योगी सरकार ने गोवंश के संरक्षण, गाय से मिलने वाले ऐसे उत्पाद जो खेती में इस्तेमाल हो सके, को किसानों तक पहुंचाने के लिए कुछ खास योजनाएं भी शुरू की हैं.

गौ संरक्षण योजना

योगी सरकार ने यूपी में ग्रामीणों द्वारा अपनी गायों को 'अन्ना कुप्रथा' के तहत बेसहारा छोड़ने की समस्या का समाधान करने के लिए गोवंश के संरक्षण का अभियान चलाया है. इसके लिए यूपी सरकार द्वारा पूरे राज्य में गौशालाएं स्थापित की गई हैं. इनमें बेसहारा गोवंश का संरक्षण किया जाता है. गौशालाओं से निकले गाय के गाेबर और गौमूत्र से ग्राम पंचायत के स्तर पर उर्वरक एवं कीटनाशक बनाकर प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गोबर की खाद एवं जीवामृत आदि वितरित करने का अभियान, प्रदेश के सभी 75 जिलों में चलाया जा रहा है.

प्राकृतिक खेती की राष्ट्रीय मुहिम

केन्द्र सरकार ने भी पूरे देश में गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 'नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग' शुरु किया है. चालू वित्त वर्ष 2023-24 में केन्द्र सरकार ने पहले से चल रही 'भारतीय प्राकृतिक कृष‍ि पद्धति' योजना को व्यापक फलक पर ले जाते हुए नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग अभियान की शुरुआत की. इसमें यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और केरल सहित दर्जन भर राज्य अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं.

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मिशन का सारथी बना यूपी

यूपी में 'नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग' को चरणबद्ध तरीके से लागू करते हुए योगी सरकार ने इसका आगाज राज्य के बुंदेलखंड इलाके से किया है. इसके तहत बुंदेलखंड के सभी 7 जिलों (बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, झांसी, जालौन और ललितपुर) में राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित गौ आधारित प्राकृतिक खेती की योजना शुरू की गई है.

चार साल की अवधि वाली इस योजना में इन 7 जिलों के सभी विकासखंड में क्लस्टर बनाकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसमें प्रत्येक विकास खंड में प्राकृतिक खेती का कम से कम 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर बनाकर किसानों को पर्यावरण हितैषी खेती की इस पद्धति काे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इस प्रकार बुंदेलखंड में अगले 4 साल के दौरान 2 चरण में 470 क्लस्टर बनाकर कुल 23,500 हेक्टेयर जमीन में इस योजना काे लागू करने का लक्ष्य है.

इसके पहले चरण में 235 क्लस्टर बनाकर 'फार्मर्स फील्ड स्कूल' कार्यक्रम शुरू किया जा चुका है. इन स्कूलों के माध्यम से अगले 4 साल में कुल 93,369 किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर सिखाए जाएंगे. इस बीच किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर सिखाने के लिए राज्य सरकार के कृष‍ि विश्वविद्यालयों एवं अन्य संस्थानों में भी लगभग 95 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती के क्लस्टर बनाए गए हैं. इनमें प्राकृतिक खेती करते हुए किसानों को गौ आधारित खेती करना सिखाया जाता है. 

इसके समानांतर केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए 'नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग' के तहत यूपी में 49 जिलों में पहले से ही प्राकृतिक खेती के 50 हेक्टेयर के एक एक क्लस्टर बनाए जा रहे हैं. इस मिशन के तहत 4 साल के दौरान 49 जिलों में 1714 क्लस्टर बना कर 85,710 हेक्टेयर कृष‍ि भूमि को प्राकृतिक खेती से कवर करने का लक्ष्य तय किया गया है.

गंगा किनारे भी प्राकृतिक खेती

यूपी सरकार ने केंद्र सरकार की 'नमामि गंगे परियोजना' के तहत भी राज्य में गंगा के तटवर्ती 26 जिलों में गंगा किनारे प्राकृतिक खेती को किसानों द्वारा अनिवार्य रूप से अपनाने का अभियान शुरू कर दिया है. इसके तहत उस इलाके की प्रमुख बागवानी फसलें प्राकृतिक पद्धति से उपजाने पर जोर दिया जा रहा है. सरकार काे भरोसा है कि आने वाले समय में गंगा किनारे के इलाके में प्राकृतिक खेती का अनूठा मॉडल विकसित होगा. नदियों को रासायनिक उर्वरकों के प्रदूषण से बचाने वाला यह मॉडल भविष्य में प्रदेश की अन्य नदियों के आसपास भी लागू होगा.

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जैविक एवं प्राकृतिक खेती में यूपी का योगदान

राष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक खेती में यूपी का अहम योगदान है. सरकार के 31 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में प्राकृतिक खेती के कुल क्षेत्रफल में यूपी की हिस्सेदारी 6.19 प्रतिशत है. इस मामले में 31.57 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ गुजरात अव्वल है, जबकि 28.84 प्रतिशत भागीदारी के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे और मध्य प्रदेश, 11.04 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर है. प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की संख्या के लिहाज से देखा जाए तो इस मामले में आंध्र प्रदेश की सर्वाधिक (37.53 प्रतिशत) हिस्सेदारी है. इसके बाद देश में प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों की कुल संख्या में 20.83 प्रतिशत हिस्सेदारी केरल की, 14.88 प्रतिशत गुजरात की, 10.19 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश की और 3.52 प्रतिशत हिस्सेदारी यूपी की है.

जैविक खेती की अगर बात की जाए तो केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित परंपरागत कृष‍ि विकास योजना के तहत यूपी में इस समय 63 जिलों में 1785 क्लस्टर बनाकर 35,700 हेक्टेयर जमीन में जैविक खेती की जा रही है. इसके अलावा राज्य सरकार ने हमीरपुर जिले को पूरी तरह से जैविक जिला घोषित किया है. इस जिले में 4784 क्लस्टर बनाकर 95,680 हेक्टेयर जमीीन में किसान जैविक खेती कर रहे  हैं.

कृष‍ि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में जैविक खेती का ग्राफ पिछले 6 सालों में तेजी से बढ़ा है. विभाग का दावा है कि साल 2017-18 में कुल 80 क्लस्टर में 4000 किसान जैविक खेती कर रहे थे. साल दर साल यह संख्या तेजी से बढ़ी है. नतीजतन, साल 2022-23 में जैविक खेती के क्लस्टर की संख्या 5094 हो गई है और इनमें काम करने वाले किसानों की संख्या 1,72,175 हो गई है.

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