देश के कई ग्रामीण इलाकों में गाय और भैंसों का दूध निकालने के लिए हाथों का इस्तेमाल किया जाता है और सदियों से यही पारंपरिक तरीका अपनाया जा रहा है. लेकिन जब से डेयरी फार्मिंग की नई तकनीकें सामने आई हैं, पारंपरिक तरीके पीछे छूटते जा रहे हैं. दूध निकालने वाली मशीनों ने डेयरी फार्मिंग और पशुपालन की दुनिया में क्रांति ला दी है. मशीन से दूध निकालना काफी आसान हो गया है और इससे दूध का उत्पादन भी लगभग 15 फीसदी बढ़ गया है. मशीन से दूध निकालने की शुरुआत डेनमार्क और नीदरलैंड से हुई और आज पूरी दुनिया में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. आजकल डेयरी उद्योग से जुड़े कई लोग पशुओं से दूध निकालने के लिए मशीनों की मदद ले रहे हैं. लेकिन वहीं पशुपालकों की लापरवाही की वजह से मिल्किंग मशीन में 97% खराबियां हो रही हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इसका मुख्य कारण.
पशुओं का दूध निकालने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीन को मिल्किंग मशीन के नाम से जाना जाता है. इस मशीन से दुधारू पशुओं का दूध बहुत आसानी से निकाला जा सकता है. इससे पशुओं के थनों को कोई नुकसान नहीं होता. इससे दूध की गुणवत्ता बनी रहती है और उत्पादन भी बढ़ता है. यह मशीन थनों की मालिश भी करती है और दूध निकालती है. इस मशीन से गाय को ऐसा लगता है जैसे वह अपने बछड़े को दूध पिला रही है. शुरुआत में गाय को मशीन से परेशानी हो सकती है लेकिन धीरे-धीरे उसे इसकी आदत हो जाती है और फिर मशीन से दूध निकालने में कोई परेशानी नहीं होती.
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दूध निकालने की मशीनें कई तरह की होती हैं. जो डेयरी किसान अपनी डेयरी में पांच से पचास गाय या भैंस पालते हैं, उनके लिए ट्रॉली बकेट मिल्किंग मशीन पर्याप्त होती है. ये मशीनें दो तरह की होती हैं, सिंगल बकेट और डबल बकेट. सिंगल बकेट मिल्किंग मशीन 10 से 15 पशुओं का दूध आसानी से निकाल सकती है, जबकि डबल बकेट मिल्किंग मशीन 15 से 40 पशुओं के लिए पर्याप्त होती है. ट्रॉली लगी होने की वजह से इस मशीन को फार्म में एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में सुविधा होती है. मशीन के अंदर लगे सेंसर गाय के थनों में कोई दिक्कत नहीं पैदा करते और दूध को बिना किसी रुकावट के बाहर आने देते हैं. दिल्ली-एनसीआर में इन मशीनों को बनाने वाली कई कंपनियां हैं और ये मशीनें पशुपालकों को आसानी से उपलब्ध हैं. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है, ये मशीनें बिना ट्रॉली के भी उपलब्ध हैं और इनकी कीमत भी काफी कम हैं.