देशभर के एनिमल साइंटिस्ट इन दिनों फ्यूचर मिल्क पर चर्चा कर रहे हैं. हाल ही में नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल में इस विषय पर एक बड़ी बैठक हुई थी. बैठक में भेड़-बकरी, ऊंट और याक आदि से जुड़े देशभर के साइंटिस्ट इसमे शामिल हुए थे. उनका कहना है कि फ्यूचर मिल्क जहां लोगों को दूध पीने में राहत देगा और उन पशुओं को भी बचाएगा जिनकी संख्या तेजी से घट रही है. ऐसे पशुओं को दूध उत्पादन और खपत बढ़ाकर बचाने की कोशिश की जाएगी. राजस्थान में ऊंट इसका एक बड़ा उदाहरण है. फ्यूचर मिल्क में नॉन बोवाइन पशु शामिल हैं. ये वो हैं जो गाय-भैंस की कैटेगिरी में नहीं आते हैं.
NDRI के डायरेक्टर डॉ. धीर सिंह का कहना है कि आज मानव स्वास्थ्य के लिए लिपिड, लैक्टोज, इम्युनोग्लोबुलिन, विभिन्न पेप्टाइड्स, न्यूक्लियोटाइड्स, ओलिगोसेकेराइड और मेटाबोलाइट्स आज की भागम भाग वाली जिंदगी और खानपान में ये बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं. और इनकीद पूर्ति नॉन बोवाइन पशुओं के दूध से हो सकती है. बस जरूरत इतनी है कि हम दूध में इनकी तलाश करें.
राष्ट्रीय पशु पोषण एवं शरीर क्रिया विज्ञान संस्थान (NIANP), बैंगलोर के डायरेक्टर डॉ. साहु का कहना है कि ऊंटनी के दूध के गुण आंत को तो हेल्दी बनाने के साथ उससे जुड़ी बीमारियों को भी दूर करते हैं. ऑटिज्म और डॉयबिटिज में फायदेमंद है. संक्रामण वाली बीमारियों के खिलाफ इम्यूनिटी मजबूत होती है. इम्यूनिटी बढ़ाने में लैक्टोफेरिन, इम्युनोग्लोबुलिन, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-वायरल गुण का अहम रोल है.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के डॉयरेक्टर डॉ. मनीष चेटली का कहना है कि बकरी के दूध को "दवाई" माना जाता है. बकरी का दूध इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधि, मलेरिया और डेंगू के दौरान पैरासाइटिमिया इंडेक्स को कम करता है. बकरी के दूध में मौजूद प्रोटीन हाई ब्लड प्रेशर और हॉर्ट की बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं. बकरी का दूध खासतौर से बच्चों के लिए जरूरी अमीनो एसिड को एक्टिव बनाता है. इसके दूध में प्रोटीन ज्यादा होता है. जबकि लैक्टोज की मात्रा गाय के दूध के मुकाबले 30-40 फीसद तक कम होती है. आज नॉन बोवाइन मिल्क गाय के मुकाबले 10.4 फीसद की दर से बढ़ रहा है, जबकि गाय का दूध 3.84 फीसद की दर से बढ़ रहा है.
फ्यूचर मिल्क के बारे में इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि डेयरी के कई बड़े प्लेयर की बकरी के दूध पर नजर है. बाजार भी अच्छा है. डिमांड भी है. बड़े बकरी फार्म की संख्या़ अभी कम है. लेकिन इस तरफ कोशिश शुरू हो गई हैं. कई लोगों ने बड़े बकरी फार्म की शुरुआत कर दी है. गुजरात में ही दो से तीन बड़े बकरी फार्म पर काम चल रहा है. अगर बड़े बकरी फार्म खुलने लगे तो फिर बड़ी कंपनियां भी आ जाएंगी.
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