भारत के अलग-अलग हिस्सों से इस समय उर्वरकों की कमी की खबरें सामने आ रही हैं. किसानों को कई घंटों और कभी-कभी तो पूरी रात इसके लिए लाइन में खड़े होने को मजबूर होना पड़ रहा है. इस बीच एक बड़ी खबर चीन से आ रही है. कहा जा रहा है कि चीन ने उर्वरकों पर जो बैन लगाया था, वह अब उसमें ढील देने की तैयारी में है. यह खबर ऐसे समय में सामने आ रही है जब एक तरफ तो अमेरिका के साथ ट्रेड और टैरिफ वॉर जारी है तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के दौरे की तैयारी कर रहे हैं. आपको बता दें कि पीएम मोदी अगस्त महीने के अंत में चीन जाएंगे और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से खास मुलाकात करने वाले हैं.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने भारत को यूरिया सप्लाई पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी है. यह ढील, चीन और भारत के बीच तनाव कम होने का एक बड़ा संकेत है. साथ ही यह ऐसे जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसीज ने दोनों ही एशियाई देशों को परेशान किया हुआ है. मामले से परिचित लोगों के अनुसार, दुनिया में इस फसल पोषक तत्व का सबसे बड़ा आयातक भारत 3,00,000 टन तक यूरिया आयात कर सकता है. चीन नाइट्रोजन-बेस्ड उर्वरक का एक बड़ा निर्यातक है. उसने हाल के वर्षों में इसकी बिक्री सीमित कर दी है.
चीन ने जिन उर्वरकों को बैन किया था उनमें गैर-सब्सिडी वाले ऐसे पोषक तत्व हैं जो मिट्टी के लिए जरूरी हैं. इनमें पानी में घुलनेवाला उर्वरक (WSF) और पत्तियों और सिंचाई के जरिए फसलों पर छिड़का जाने वाला लिक्विड उर्वरक, कंट्रोल्ड रिलीज फर्टिलाइजर (CRF), स्लो रिलीज फर्टिलाइजर (SRF, माइक्रोन्यूट्रिएंट फर्टिलाइजर, फोर्टिफाइड उर्वरक, अनुकूलित उर्वरक, नैनो उर्वरक, बायो स्टिम्यूलेंट्स, ऑर्गेनिक और दूसरे खास उर्वरक शामिल हैं. ये प्रॉडक्ट्स तय पोषक तत्व देने के साथ ही पर्यावरण के असर को कम करने की अपनी क्षमता के कारण दिन पर दिन लोकप्रिय हो रहे हैं. अभी इस बात की कोई जानकारी नहीं आई है कि क्या चीन ने इन पर से भी बैन हटाया है या सिर्फ यूरिया को निर्यात की मंजूरी दी है.
इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार, भारत आमतौर पर जून-दिसंबर की अवधि में 150,000-160,000 टन खास उर्वरकों का आयात करता है. फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) के आंकड़ों की मानें तो बढ़ती घरेलू मांग के बावजूद स्थानीय उत्पादन अभी भी अव्यवहारिक बना हुआ है. हालांकि इन्हीं आंकड़ों में यह दावा भी किया गया है कि भारत में सूक्ष्म पोषक उर्वरकों का बाजार 2029 तक 1 बिलियन डॉलर को पार कर जाने की उम्मीद है.
चीन की ओर से यह कदम ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के बाद उठाया गया है. ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद के चलते भारतीय सामानों पर टैरिफ दोगुना करने का ऐलान किया है. विशेषज्ञों की मानें तो ट्रंप के इस कदम से चीन और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी. फिलहाल इस ताजे घटनाक्रम पर चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया है. साथ ही भारत के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने भी कोई टिप्पणी अभी तक नहीं की है.
साल 2023 तक चीन का उर्वरक का करीब आधा निर्यात भारत को होता था. लेकिन पिछले साल चीन ने सभी देशों के लिए बिक्री बंद कर दी थी. इस साल जून में चीन ने प्रतिबंधों में ढील दी, जबकि अब तक भारत पर अपने प्रतिबंध बरकरार रखे. FAI के अनुसार भारत ने 31 मार्च को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में करीब 5.7 लाख टन यूरिया का आयात किया. यह हालांकि एक साल पहले की तुलना में करीब 20 फीसदी कम है. एसोसिएशन के अनुसार चीन से खरीद 2024-25 में लगभग 100,000 टन तक गिर गई, जबकि एक साल पहले यह 1.87 मिलियन टन थी.
भारत की विशाल, कृषि-निर्भर अर्थव्यवस्था और इस बात को देखते हुए कि घरेलू उत्पादन मांग से कम है, आयात एक बड़ा जरिया है जो किसानों के लिए सप्लाई को स्थिर रख सकता है. अभी भारत यूरिया आयात पर निर्भर करता है. देश में यूरिया पर भारी सब्सिडी दी जाती है. इसके अलावा यह मिट्टी के पोषक तत्वों का बढ़ाकर प्रमुख फसलों की पैदावार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रतिबंधों में ढील और इसकी सीमा के बारे में अभी कोई ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन यह घटनाक्रम चीन-भारत संबंधों में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है. यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि यह बदलाव यूरिया की उपलब्धता, उसकी कीमत ओर कृषि उत्पादकता को प्रभावित कर सकता है.
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