Makhana Farming Tips: मखाने की भी होती है सीधी बुवाई, खेती के लिए जनवरी का महीना है बेस्ट

Makhana Farming Tips: मखाने की भी होती है सीधी बुवाई, खेती के लिए जनवरी का महीना है बेस्ट

देश में मखाने की 90 फीसदी खेती अकेले बिहार में की जाती है क्योंकि यहां की जलवायु इसके लिए सबसे उपयुक्त है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, असम, मेघालय और उड़ीसा में भी इसकी खेती की जाती है. अगर आप भी मखाने की सीधी बुवाई करना चाहते हैं तो आप इस विधि से खेती करने के लिए 30 से 90 किलो स्वस्थ मखाना बीज को तालाब में दिसंबर या जनवरी के महीने में हाथों से छिड़क दें.

मखाने की भी होती है सीधी बुवाईमखाने की भी होती है सीधी बुवाई
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Jan 11, 2024,
  • Updated Jan 11, 2024, 3:33 PM IST

बिहार की धरती पर उपजने वाला पोषण से भरपूर मखाने की मांग देश सहित विदेशों में भी बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है. मखाना अपनी बेहतर क्वालिटी और गुणों के लिए जाना जाता है. वहीं बात करें इसकी खेती की तो ये जितना ही स्वास्थ्यवर्धक होता है, इसकी खेती उतनी ही कठिन होती है. नर्सरी से लेकर हार्वेस्टिंग तक इसकी खेती में किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है. वहीं अब किसान मखाने की खेती धान की तरह सीधी बुवाई करके भी कर सकते हैं.

नवंबर में नर्सरी लगाने से लेकर सितंबर महीने से मखाने के बीज की कटाई शुरू हो जाती है. वहीं खेती के लिए जनवरी का महीना बेस्ट माना जाता है. मखाने की खेती किसान तालाब और खेत दोनों में बड़े स्तर पर कर सकते हैं.

सीधी बुवाई से कैसे करें खेती

अगर आप भी मखाने की सीधी बुवाई करना चाहते हैं तो आप इस विधि से खेती करने के लिए 30 से 90 किलो स्वस्थ मखाना बीज को तालाब में दिसंबर या जनवरी के महीने में हाथों से छिड़क दें. बीज छिड़कने के 35 से 40 दिन बाद पानी में बीज उगना शुरू हो जाता है. वहीं फरवरी या मार्च में मखाने के पौधे पानी के ऊपरी सतह पर निकल आते हैं. इस अवस्था में पौधों से पौधों के बीच की दूरी 1 मीटर करने के लिए अतिरिक्त पौधों को निकाल दिया जाता है, ताकि आपकी फसल अच्छे से ग्रोथ कर सके.

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क्या है रोपाई की विधि

मखाने की सीधी बुवाई तकनीक से खेती करने के लिए स्वस्थ और नए पौधों की रोपाई मार्च से अप्रैल के महीने में कतार से कतार और पौधों से पौधों की दूरी 1,20 मीटर से 1.25 मीटर पर की जाती है. रोपाई के लगभग दो महीने के बाद चमकीले बैगनी रंग के फूल निकलने लगते हैं. फूल निकलने के 35 से 40 दिनों के बाद फल पूरी तरह से विकसित हो जाता है.

मिथिला है मखाने की खान

देश में मखाने की 90 फीसदी खेती अकेले बिहार में की जाती है क्योंकि यहां की जलवायु इसके लिए सबसे उपयुक्त है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, असम, मेघालय और उड़ीसा में भी इसकी खेती की जाती है. वहीं अकेले बिहार के मिथिला क्षेत्र यानी दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर जैसे जिलों में लोग मखाने की खेती अधिक मात्रा में करते हैं. यहां के मखाने की बेहतरीन क्वालिटी को देखते हुए इसे जीआई टैग भी मिल चुका है. आज यहां का मखाना मिथिला मखाना के नाम से जाना जाता है. साथ ही मखाने की खेती फायदे का सौदा मानी जा रही है. मखाना किसानों की आय के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है.

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