Makhana Farming: मखाने के बारे में तो हम सब अच्छी तरह से जानते हैं. इसकी पहचान ड्राई फ्रूट्स के रूप में की जाती है. वहीं कई लोग इन्हें फॉक्स नट या लोटस सीड (Lotus Seed) के नाम से भी जानते हैं. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कारण यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. मखाने का इस्तेमाल व्रत और अनुष्ठानों में प्रसाद के तौर पर भी किया जाता है जिसके कारण मखाने की मांग बाजारों में पूरे साल बनी रहती है. भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी मखाने की मांग हमेशा बनी रहती है.
वहीं बात करें मखाना उत्पादन की तो कृषि मंत्रालय के अनुसार विश्व का लगभग 90 प्रतिशत मखाना उत्पादन अकेले बिहार के मिथिला क्षेत्र में होता है. साथ ही मखाने की सबसे लोकप्रिय किस्म की खेती भी इसी इलाके में की जाती है. यूं कहें कि विश्व में सबसे अच्छे मखाने की खेती भारत में होती है जिसमें बिहार और यूपी का नाम सबसे ऊपर है. मखाने की पैदावार में दूसरे स्थान पर चीन है. आइए मखाने की लोकप्रिय किस्मों के बारे में जानते हैं.
बात करें मखाने की सबसे लोकप्रिय किस्म की तो इसका नाम काजू मखाना है, जिसका उत्पादन भारत में सबसे अधिक होता है. वहीं भारत में सबसे अधिक काजू मखाना का उत्पादन करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार हैं. यहां के किसान बेहतर क्वालिटी वाले मखाने की खेती करते हैं.
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काजू मखाना का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है और वे इसे कमल के पौधे के बीज से पैदा करता है. वहीं बात करें निर्यात की तो चीन भारत से आगे है. भारत में किसान केवल एक ही किस्म का उपयोग करते हैं जिसे "चिरंजीवी" कहा जाता है, लेकिन चीन में "जिउझी", "नानमु" आदि जैसी कई किस्में हैं, जिनका उपयोग केक, मिठाई और आइसक्रीम जैसे अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है. भारत मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. वहीं दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक चीन है, उसके बाद जापान और कोरिया हैं.
मखाने की खेती देखने-सुनने में जितनी आसान लगती है. यह उतना ही कठिन है. किसान मखाने की उपज इकट्ठा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. तब जाकर हमारे और आपके पास मखाना पहुंच पाता है. मखाने की खेती करने से पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है. ये नर्सरी खेत में मखाने की खेती करने के लिए तैयार की जाती है. इसकी खेती के लिए चिकनी और चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है.
जब मखाने के नवजात पौधे का पत्ता प्लेट के जैसा हो जाता है, तो वह उस साइज में रोपाई के लिए उपयुक्त रहता है. मखाने के स्वस्थ और नवजात पौधे की जड़ को मिट्टी के अंदर दबाया जाता है, फिर उसकी कली को पानी के अंदर रखा जाता है. इससे मखाने का नया पौधा तैयार हो जाता है. आगे चलकर कई प्रोसेस से गुजरने के बाद मखाना निकाला और इस्तेमाल किया जाता है.
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