किसान के लिए उसके जीवन की सबसे जरूरी मशीनों में सबसे ऊपर ट्रैक्टर ही आता है. ज्यादातर किसान अपने ट्रेक्टर के मेन्टीनेंस को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं. लेकिन बहुत सारे किसान ट्रैक्टर को लेकर थोड़ी लापरवाही कर देते हैं और कई किसान जानकारी के अभाव में ट्रैक्टर के साथ कुछ गलतियां कर जाते हैं, जो बाद में फिजूल खर्चे का कारण बनती हैं. ऐसी ही एक सबसे आम गलती है ट्रैक्टर सर्विस के दौरान लापरवाही. यहां आप जरा से चूके और वहां मिस्त्री आपको चूना लगा सकते हैं. इसलिए आज कुछ बातें जान लीजिए जिन्हें ट्रैक्टर सर्विसिंग के दौरान ध्यान रखना चाहिए, ताकि ट्रैक्टर और आप की जेब दोनों ही सलामत रहे.
यहां बच सकता है फिजूल खर्चा
सबसे पहले तो ये समझना जरूरी है कि ट्रैक्टर की सर्विंग कब करानी चाहिए और इसके पार्ट्स बदलने का क्या सही समय है. क्योंकि अगर आपको ये पता रहेगा तो मिस्त्री पार्ट्स बदलवाने को लेकर आप पर दबाव नहीं बना पाएगा और काफी सारी फिजूल खर्च बचाया जा सकता है.
- वैसे तो ट्रैक्टर की सर्विसिंग हर 250-300 घंटे में करानी चाहिए. हालांकि, अब हर एक कंपनी अपने ट्रैक्टर के मॉडल और इस्तेमाल के हिसाब से अलग-अलग सर्विस इंटरवल बताती है.
- बात करें दूसरे जरूरी पार्ट्स की तो एयर फ़िल्टर और हाइड्रोलिक फ़िल्टर की लाइफ़ ज़्यादा होती है. ये फिल्टर आम तौर पर 250 से 500 घंटे बाद भी बदला जा सकता है. यानी कि जरूरी नहीं हैं कि एयर फ़िल्टर और हाइड्रोलिक फ़िल्टर हर सर्विस पर बदला जाए, एक बार अपने सामने खुलवाकर साफ करा लें और अगर कंडीशन ठीक है तो वापस वही फिल्टर लगवा दें.
- इसके अलावा डीजल फिल्टर भी हर सर्विस पर बदलने की जरूरत नहीं पड़ती. अगर आप साफ और अच्छी क्वालिटी का डीजल डाल रहे हैं तो डीजल फिल्टर 400 तक चल सकता है. इसलिए कोशिश करें कि डीजल फिल्टर हर सर्विस की बजाय, हर दूसरी सर्विस पर बदलवाएं. इसे बस साफ करके फिर से लगवाना ना भूलें. सबसे जरूरी चीज ट्रैक्टर का गियर ऑयल 2000 घंटे पर ही बदलें, इससे पहले बदलवाना फिजूल खर्चा है.
- आपका ट्रैक्टर जब तक वारंटी में है तब तक कोशिश करें कि ज्यादातर काम सर्विस सेंटर में ही कराएं. अगर ट्रैक्टर वारंटी में है और आपने मिस्त्री से कोई काम करवा लिया तो कंपनी ट्रैक्टर की वारंटी खत्म कर सकती है. वहीं वारंटी वाले काम सर्विस सेंटर में मुफ्त में हो जाएंगे. इसके अलावा वारंटी पीरियड के अंदर ट्रैक्टर की सर्विस तो हमेशा ही सर्विस सेंटर में कराएं.
- ट्रैक्टर में जब भी कोई नया पार्ट डलवाएं तो ट्रैक्टर ब्रांड द्वारा प्रमाणित ऑथराइज्ड पार्ट्स ही देखकर डलवाने चाहिए. साथ ही अगर कोई पार्ट बहुत महंगा है तो कोशिश करें कि एजेंसी से ही खरीदें या फिर मिस्त्री के साथ खुद जाकर लें, ताकि मिस्त्री पार्ट की क्वालिटी और कीमत में बेवकूफ ना बना सके.
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इन चीजों से ना हटाएं नजर
- जब भी ट्रैक्टर की सर्विस कराएं तो समय निकालकर जाएं और कोशिश करें कि सामने ही मौजूद रहें. सर्विसिंग के दौरान इस पर ध्यान दे कि मिस्त्री अच्छी क्वालिटी का इंजन ऑयल डाले या फिर जिसके पैसे ले रहा है, वही कंपनी का इंजन ऑयल डाले.
- डीजल फिल्टर और ऑयल फिल्टर अपने सामले खुलवाकर अच्छे से साफ करवाकर कसवाएं. इस दौरान रेडिएटर कूलेंट को भी भरवाना ना भूलें. इसी दौरान चेक कर लें आगर रेडिएटर वाली फैनबेल्ट ढीली हो तो उसे भी कसवा लें. सर्विसिंग के दौरान ग्रीस गन की मदद से पूरे ट्रैक्टर के एक-एक प्वाइंट की ग्रीसिंग जरूर करानी चाहिए.
- इस दौरान आगे के पहियों का अलाइनमेंट भी सेट करवा लें और बैटरी का पानी भी टॉप-अप करवाना जरूरी है. अगर बैटरी बॉक्स में कचरा भरा है तो उसे खुलवाकर साफ करा लें, वरना यहां सबसे जल्दी जंग लगेगी. सबसे आखिर में सर्विस के बाद ट्रैक्टर को प्रेशर वॉश से अच्छे से धुलवाना बहुत जरूरी है.
मिस्त्री नहीं, अपना मित्र बनाएं
ट्रैक्टर एक बेहद मेहनती मशीन है और इसलिए इसमें मेन्टीनेंस संबंधी दिक्कतें हमेशा ही आती रहेंगी. ऐसे में आपको अपने गांव या कस्बे में अपना एक परमानेंट मिस्त्री चुनना चाहिए. इससे होता ये है कि वह मिस्त्री फिर आपका एक ग्राहक की तरह कम और संबंधी की तरह काम करके देगा. साथ ही आप अपनी दोस्ती के नाते उससे छोटे-मोटे काम बिना खर्चे के करवा सकते हैं या फिर अपनी इच्छानुसार पैसे दें सकते हैं.
इसका एक फायदा ये भी है कि जब मिस्त्री से संबंध अच्छे हो जाते हैं तो वह आपके ट्रैक्टर पर विशेष ध्यान देता है. इसके अलावा कभी किसी इमरजेंसी में अगर ट्रैक्टर खराब हो जाए तो फोन करके घर भी बुला सकते हैं या फिर उससे छोटी-मोटी समस्या का समाधान भी ऐसे ही पूछ सकते हैं. जब फसल बिक जाए तो अपने मिस्त्री को भेंट स्वरूप मिठाई या खाने पर न्योता दें.
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