वाराणसी में पीएम के खिलाफ बीएसपी का बड़ा मुस्लिम चेहरा, जानें मोदी को चुनौती देने वाले अतहर जमाल कौन हैं 

वाराणसी में पीएम के खिलाफ बीएसपी का बड़ा मुस्लिम चेहरा, जानें मोदी को चुनौती देने वाले अतहर जमाल कौन हैं 

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए 11 उम्‍मीदवारों के साथ एक नई लिस्‍ट जारी कर दी है. इस लिस्‍ट में एक नाम ऐसा था जो चौंकाने वाला था. बीएसपी ने उत्‍तर प्रदेश की हाट सीट वाराणसी से अतहर जमाल लारी को उम्‍मीदवार बनाया है. लारी, 1 जून को होने वाले मतदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए नजर आएंगे.

वाराणसी से बीएसपी के उम्‍मीदवार अतहर जमाल लारी
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Apr 16, 2024,
  • Updated Apr 16, 2024, 6:44 PM IST

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए 11 उम्‍मीदवारों के साथ एक नई लिस्‍ट जारी कर दी है. इस लिस्‍ट में एक नाम ऐसा था जो चौंकाने वाला था. बीएसपी ने उत्‍तर प्रदेश की हाट सीट वाराणसी से अतहर जमाल लारी को उम्‍मीदवार बनाया है. लारी, 1 जून को होने वाले मतदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए नजर आएंगे. पीएम मोदी साल 2014 और 2019 में भारी मतों से वाराणसी की सीट जीतकर संसद पहुंचे हैं. जानिए कौन हैं अतहर जमाल लारी और क्‍यों पार्टी ने उन्‍हें वाराणसी के लिए चुना है. 

कई दलों में रहे शामिल 

66 साल के लारी सन् 1980 से ही राजनीति में सक्रिय हैं. वह  जनता दल, अपना दल और कौमी एकता दल जैसी कई पार्टियों का हिस्‍सा रहे हैं. साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वह बहुत कम समय के लिए समाजवादी पार्टी के साथ भी जुड़े थे. हालांकि पिछले सभी चुनावों में उनका डेब्‍यू असफल ही साबित हुआ है. वाराणसी लोकसभा सीट से यह उनका पहला प्रयास नहीं होगा. उन्होंने सन् 1984 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर यूपी की सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था. उस समय वह कांग्रेस पार्टी के श्यामलाल यादव से मुकाबला हार गए थे. लारी को उन चुनावों में 50329 वोट मिले थे. 

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चुनावों में रहे असफल 

लारी ने  साल 2004 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में फिर से अपनी किस्मत आजमाई. इस बार सोनेलाल पटेल की अपना दल से वह उम्मीदवार थे. कांग्रेस पार्टी के राजेश कुमार मिश्रा ने सीट जीती. लारी इस बार 93228 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. लारी ने सन् 1991 और 1993 में जनता दल के टिकट पर वाराणसी कैंट सीट से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा था. साल 2012 में उन्होंने मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल के उम्मीदवार के रूप में वाराणसी दक्षिण सीट से भी विधानसभा चुनाव लड़ा. लारी इन सभी चुनावों में असफल ही साबित हुए. 

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लारी को उतारने का मकसद?  

साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लारी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. लारी ने उम्‍मीदवारी हासिल करने के बाद वाराणसी में मीडिया से कहा, 'लड़ाई बसपा और बीजेपी के बीच होगी. अजय राय तीसरे नंबर पर होंगे.' उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से भी उन्हें समर्थन देने का अनुरोध किया है.

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कई लोगों का कहना है कि बीएसपी ने मुस्लिम समुदाय से समर्थन की उम्मीद में वाराणसी से लारी को मैदान में उतारा है. इस सीट पर इस समुदाय के तीन लाख से ज्‍यादा मतदाता हैं. दरअसल, साल 2009 में भी मायावती ने इसी उम्मीद के साथ मुख्तार अंसारी को बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मैदान में उतारा था. उस चुनाव में जोशी सीट जीत गए थे. जबकि अंसारी 1.85 लाख वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. 

और कौन-कौन से उम्‍मीदवार 

बीएसपी ने लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में अकेले लड़ने और किसी भी गठबंधन में न जाने का मन बनाया है.  पार्टी ने अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें सहारनपुर से माजिद अली, कैराना से श्रीपाल सिंह, मुजफ्फरनगर से दारा सिंह प्रजापति और अन्य शामिल हैं. संसद में सबसे ज्यादा 80 सांसद भेजने के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होगा. 

 

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