19 अप्रैल से लोकसभा चुनावों का आगाज हो जाएगा और सबकी नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी होंगी. यूं तो यहां पर हर सीट खास है लेकिन वाराणसी सीट पर मुकाबला हाई वोल्टेज होने वाला है. वाराणसी, साल 2014 और 2019 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बना हुआ है. दोनों ही बार उन्होंने यहां पर विशाल जीत हासिल की है. इस बार भी सबको उम्मीद है कि पीएम बड़ी जीत दर्ज कराएंगे. पीएम मोदी के सामने इस बार भी कांग्रेस ने अजय राय को टिकट दिया है. इस मुकाबले में एक बड़ी ही इंट्रेस्टिंग एंट्री हुई है किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी की. हेमांगी सखी को निर्मोही अखाड़े ने उतारा है और वह संगठन का वह चेहरा हैं जो ट्रांसजेंडर कम्युनिटी का प्रतिनिधित्व करता है.
हिमांगी सखी को अखिल भारत हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने टिकट दिया है. ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों की ओर सरकार और राजनीतिक दलों का ध्यान आकर्षित करने के लिए हिमांगी सखी ने चुनाव में उतरने का फैसला किया. हिमांगी सखी ने कहा कि यह अच्छा है कि पीएम मोदी ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कैंपेन को लॉन्च किया. लेकिन कभी भी किसी ने किन्नरों के लिए कोई अभियान शुरू नहीं किया है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकसभा में एक सीट किन्नरों के लिए आरक्षित होनी चाहिए. साथ ही राज्य की विधान सभाओं को सुनिश्चित करना चाहिए कि किन्नरों की आवाज, मसले और उनकी चिंताओं को भी एक मंच मुहैया कराया जाए. 47 साल की हिमांगी सखी ने कहा कि वह पीएम मोदी का सम्मान करती हैं और उनकी तरफ से किए गए कामों को भी पसंद करती हैं. मगर वह सिर्फ इसलिए चुनाव लड़ रही हैं कि सरकार और राजनीतिक दलों को ध्यान किन्नरों के मसलों की तरफ जाए.
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हिमांगी सखी का जन्म गुजरात के बड़ौदा में हुआ था लेकिन उनका पालन-पोषण मुंबई में हुआ. अपने माता-पिता के देहांत और बहन की शादी के बाद भगवान श्रीकृष्ण के लिये झुकाव के चलते वह वृंदापन आ गईं. जल्द ही हिमांगी को दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर कथावाचक के तौर पर लोकप्रियता मिलने लगी. उनके फेसबुक पेज पर दी गई जानकारी के अनुसार उन्होंने दुनिया भर के कई स्थानों पर भागवत कथा, राम कथा और देवी भागवत कथा का प्रदर्शन किया है. लोग उन्हें हेमांगी सखी मां के तौर पर भी जानते हैं.
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चार फरवरी 2019 में प्रयागराज में आयोजित हुए कुंभ मेला के दौरान हिमांगी सखी को अखिल भारत हिंदू महासभा की तरफ से आचार्य महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई. उन्हें पशुपति अखाड़ा के जगतगुरु पीठाधीश्वर गौरी शंकर महाराज की तरफ से इस उपाधि से सम्मानित किया गया था. इस तरह से वह पहली ट्रांसजेंडर बनीं जिन्हें यह सम्मान मिला था. इसके बाद वह निर्मोही अखाड़ा से जुड़ गईं. साल 2022 में वह उस समय खबरों में आईं जब उन्होंने ज्ञानवापी में जलाभिषेक का प्रस्ताव रखा था.
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